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फिर गठबंधन की रहा चली कांग्रेस

लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त से दो-चार हो चुकी कांग्रेस एक बार फिर पारंपरिक राजनीति के रास्ते पर है। आंतरिक विरोध और सत्ता विरोधी लहर से लड़ रही पार्टी 'जुगाड़' की राजनीति के सहारे विधानसभा चुनावों की जंग जीतने की तैयारी में है।

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 08:09 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 10:20 AM (IST)

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त से दो-चार हो चुकी कांग्रेस एक बार फिर पारंपरिक राजनीति के रास्ते पर है। आंतरिक विरोध और सत्ता विरोधी लहर से लड़ रही पार्टी 'जुगाड़' की राजनीति के सहारे विधानसभा चुनावों की जंग जीतने की तैयारी में है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के 'एकला चलो' प्रयोग से तौबा कर चुकी पार्टी विधानसभा चुनाव में अन्य दलों को साथ लेकर भाजपा से मुकाबिल होने की तैयारी कर रही है। हालांकि, गठबंधन की राजनीति को लेकर राहुल के नकारात्मक रवैये और संभावित सहयोगियों के साथ उनके असहज रिश्तों को देखते हुए अन्य दलों को साधने की जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने कंधों पर ले ली है।

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रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से दी गई इफ्तार पार्टी में सोनिया गांधी की मेज पर साथ बैठे लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ बिहार में एक महागठबंधन की नींव रखी। बिहार में राजनीतिक और जातीय समीकरणों के हिसाब से काफी प्रभावी माने जाने वाले राजद-जदयू गठबंधन में कांग्रेस को भी सम्मानजनक भागीदारी मिली है। अब तक कांग्रेस को अपमानित करने के अंदाज में बयानबाजी कर रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी रुख में नरमी लाते हुए गठबंधन को सोनिया और राकांपा प्रमुख शरद पवार के बीच की बात बताकर नरमी के संकेत दिए हैं। पार्टी नेता अजित पवार ने बताया, 'सीटों के बंटवारे पर हाल में हुई बैठक में राकांपा ने लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन के मद्देनजर दावा पेश किया है, लेकिन अंतिम निर्णय सोनिया और शरद की नई दिल्ली में होने वाली बैठक में लिया जाएगा।' राहुल इस अहम इफ्तार पार्टी में भी कटे-कटे रहे। राहुल राज्यसभा में पार्टी के उपनेता आनंद शर्मा के साथ दक्षिण अफ्रीकी दल से बातचीत में मशगूल दिखे। दावत में मौजूद राजनीतिक लोगों से राहुल की मुलाकात भी महज हालचाल तक सीमित रही। दरअसल, गठबंधन की राजनीति को लेकर राहुल के रवैये से कांग्रेस के सहयोगी माने जाने दल खासे असहज हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान विभिन्न राज्यों में पार्टी के गठबंधन न कर पाने का ठीकरा 'राहुल व उनकी टीम' पर ही फोड़ा गया था।

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