कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता को लेकर केंद्र से पूछा सवाल
गणतंत्र दिवस पर भारत सरकार के एक विज्ञापन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। 26 जनवरी को भारत अपने गणतंत्र बनने का उत्सव मनाता है। इस मौके पर भारत सरकार के एक विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना में बदलाव देखने को मिला। सूचना-प्रसारण मंत्रालय के इस विज्ञापन में संविधान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर भारत सरकार के एक विज्ञापन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। 26 जनवरी को भारत अपने गणतंत्र बनने का उत्सव मनाता है। इस मौके पर भारत सरकार के एक विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना में बदलाव देखने को मिला। सूचना-प्रसारण मंत्रालय के इस विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना में 'सोशलिस्ट' और 'सेक्युलर' शब्द नहीं थे। जबकि, संविधान की प्रस्तावना में इन शब्दों का उल्लेख किया गया है। इस पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेता व पूर्व सूचना प्रसारण राज्य मंत्री मनीष तिवारी से इसे घृणित और माफ न करने योग्य अपराध करार दिया। बाद में भारत सरकार ने इस मामले में सफाई देते हुए स्थिति साफ की।
सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौर ने कहा, 'कुछ लोग कह रहे हैं कि संविधान की प्रस्तावना में सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द नहीं हैं। जबकि, यह 1976 में हुए 42वें संविधान संशोधन में जोड़े गए शब्द हैं।' राठौड़ ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि इस विज्ञापन के जरिये हम संविधान की पहली प्रस्तावना का सम्मान कर रहे थे। गौरतलब है कि इस 26 जनवरी को छपे विज्ञापन नंबर डीएवीपी 22201/13/0048/1415 में सरकार की ओर से संविधान की प्रस्तावना में इन दोनों शब्दों के न होने की वजह से भ्रम की स्थिति बन गई थी।
'हम हमेशा सेक्युलर थे और रहेंगे। लेकिन इस विज्ञापन के जरिये हम संविधान की पहली प्रस्तावना का सम्मान कर रहे हैं।'
-राज्यवर्धन राठौड़, सूचना प्रसारण मंत्री
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'यह न केवल बेहद गंभीर है, बल्कि यह कैसे हुआ इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।'
-मनीष तिवारी, कांग्रेस नेता व पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री
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