सीजेआइ ने पर्यावरण संवेदनशील परियोजनाओं की पूर्व मंजूरी को किया खारिज
जस्टिस खेहर ने कहा कि भारत के पर्यटन स्थलों की अन्य देशों के स्थलों के साथ तुलना से लगता है कि हम प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र : देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) जेएस खेहर ने पर्यावरण संवेदनशील परियोजनाओं को पूर्व मंजूरी के विचार को शनिवार को खारिज कर दिया। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुझाव दिया था कि ऐसी परियोजनाओं को शुरू में ही मंजूरी देने के लिए सरकार, न्यायपालिका और अन्य संबंधित पक्षों को एक तंत्र विकसित करना चाहिए।
1991 में बने तटीय नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) का जिक्र करते हुए रोहतगी ने कहा कि इससे पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ है। मौजूदा कानूनों में समुद्र किनारे 500 मीटर की दूरी में निर्माण की इजाजत नहीं है। जबकि मालदीव जैसे देशों में समुद्र तटों पर होटलों का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि निर्माण के दौरान या पूरा होने पर परियोजनाएं दशकों तक लटकी रहती हैं। हालांकि प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सरकार द्वारा जब कोई परियोजना बनाई जाती है, तब पर्यावरण और पारिस्थितिकी के बारे में सोचना प्रशासन का दायित्व होता है। कोर्ट इसमें तब तक दखल नहीं दे सकता जब तक मौजूदा पर्यावरण में परिवर्तन न हो।
जस्टिस खेहर ने कहा कि भारत के पर्यटन स्थलों की अन्य देशों के स्थलों के साथ तुलना से लगता है कि हम प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रतिस्पर्धा का मामला नहीं है बल्कि इसमें बड़े पैमाने पर मानवता शामिल है। उन्होंने कहा कि आप होटल या जो चाहें उसका निर्माण करें लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिए नियम-कानून होने चाहिए। इसके बाद कोई कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा।
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