किसानों की आमदनी को दोगुना करेगी ये फसल
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रो. डॉ. आशीष कुमार ने सिट्रोनेला की खेती करके पाया है कि यह किसानों की आमदमी को दो गुना कर सकती है।
कानपुर (विक्सन सिक्रोड़िया)। मौसम की मार किसानों की कमर नहीं तोड़ सकेगी। तेज बारिश व अधिक तापमान से प्रभावित फसलों का नुकसान सिट्रोनेला भरेगा। यह मुनाफे की ऐसी फसल है जो एक बार बोने से चार साल तक काटी जा सकती है। प्रत्येक साल में तीन फसलें होती हैं जिनसे किसान कम से कम 50 हजार रुपये की आमदनी प्रतिवर्ष प्राप्त कर सकते हैं। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रो. डॉ. आशीष कुमार ने सिट्रोनेला की फसल का उत्पादन करके यह पाया है कि यह किसानों की आमदमी को दो गुना कर सकती है।
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने डॉ. आशीष कुमार की कृषि तकनीक को मान्यता देने के साथ ‘खरीफ फसलों की सघन परिस्थितियां पद्यतियां’ पत्रिका में जगह दी है। सिट्रोनेला को मक्का, सरसों व मसूर के साथ इंटरक्रॉपिंग
करके लगाया जा सकता है, जिससे किसान को चार फसलों का लाभ मिलता है, जबकि इसकी गंध से माहू समेत अन्य कीट पतंगे बोई गई दूसरी फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं और किसान को शत प्रतिशत फसल प्राप्त होती है।
छह से सात माह में पहली फसल तैयार : सिट्रोनेला की रूट स्लिप जून-जुलाई व फरवरी-मार्च साल में दो बार लगाई जा सकती है। पहली फसल छह से सात महीने में तैयार हो जाती है। दूसरी बार इसे पकने में केवल चार महीने का समय लगता है जबकि हर बार 21 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सिट्रोनेला की हरी पत्तियों का उत्पादन किया जा सकता है।
खास बातें
-सिट्रोनेला की एक रूट स्लिप का मूल्य महज 25 से 50 पैसे होता है
-सौ किलोग्राम पत्ती में 800 मिली तेल निकलता है
-तेल की कीमत 800 से एक हजार रुपये प्रति लीटर होती है
-केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान लखनऊ व सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र कन्नौज की प्रयोगशाला से पास होने के बाद इसकी कीमत 1300 रुपये प्रति लीटर हो जाती है
-तेल निकलने के बाद सिट्रोनेला की पत्तियों का इस्तेमाल भी खेतों में मर्चिंग के रूप में किया जाता है
-यह कीड़े-मकोड़ों, खर पतवार व नमी को उड़ने से रोकने के काम में आती है।
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