चीनी घुसपैठ की टाइमिंग को वायुसेना प्रमुख ने बताया रहस्य
वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने शनिवार को बीते दिनों चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे से पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई चीनी सैनिकों की घुसपैठ को रहस्य करार दिया। इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए तीनों सेना प्रमुखों की समिति के मुखिया राहा ने कहा कि घुसपैठ और बड़े दौरों के साथ आ
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने शनिवार को बीते दिनों चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे से पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई चीनी सैनिकों की घुसपैठ को रहस्य करार दिया। इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए तीनों सेना प्रमुखों की समिति के मुखिया राहा ने कहा कि घुसपैठ और बड़े दौरों के साथ आस-पास उनका घटना एक रहस्य की तरह है। इसके पीछे कूटनीतिक संदेश देने की पड़ोसी की मंशा की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हो सकता है किसी तरह का संकेत देने की कोशिश हो। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत किसी तरह भी अपनी जमीन नहीं छोड़ने जा रहा।
भारतीय वायुसेना आठ अक्टूबर को 82वीं वर्षगांठ मनाने जा रही है। उसके पहले संवाददाताओं से बातचीत में वायुसेना प्रमुख ने कहा, आप सब जानते हैं कि कूटनीति में बहुत कुछ संकेत दिए जाते हैं। खासकर हमारा उत्तरी पड़ोसी ऐसा करता है। मेरी समझ से ये घुसपैठ कुछ संकेत के हिस्से हो सकते हैं लेकिन मैं यह अंदाजा लगाने नहीं जा रहा हूं कि वास्तव में इसका क्या मतलब है। उनसे चीन के बार-बार भारतीय सीमा में घुसपैठ के बारे में सवाल किया गया था। खासकर हाल में चीनी सैनिकों द्वारा अपने नागरिकों को लद्दाख इलाके में घुसपैठ कराने और भारतीय क्षेत्र में स्थानीय नागरिकों के कृषि कार्य के लिए लिए बनाई जा रही नहर का निर्माण कार्य रोकने से जुड़े सवाल पूछे गए थे। यह तभी हुआ था जब चीन के राष्ट्रपति भारत दौरे पर थे।
पूर्वोत्तर व जम्मू-कश्मीर में वायुसेना के विस्तार पर जोर
लद्दाख और पूर्वोत्तर के सीमाई इलाकों में चीन की लगातार जारी दादागिरी के बीच भारतीय वायुसेना ने इन इलाकों में अपने सैन्य ढांचे को सुधारने की रफ्तार बढ़ा दी है। इस कड़ी में अब तक कमियों से जूझ रहे अरुणाचल प्रदेश समेत पूर्वोत्तर इलाकों में अगले साल तक बड़े पैमाने पर हवाई पट्टियों को विकसित किया जाना है। वहीं, लद्दाख के न्यौमा हवाई पट्टी को पांच सालों में वायुसेना के ठिकाना में तब्दील किया जाना है।
वायुसेना प्रमुख ने माना कि पूर्वोत्तर के इलाकों में लंबी उपेक्षा के कारण सैन्य इंतजामों की कमी है। उत्तर के क्षेत्रों में मौसम और इलाके की कठिनाइयों के कारण सैन्य ढांचे के निर्माण की रफ्तार धीमी है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीते कुछ समय के दौरान पूर्वोत्तर इलाके में सैन्य ढांचे का विस्तार हो रहा है। किसी भी संभावित चुनौती से मुकाबले के लिए वायुसेना बड़े पैमाने पर सेंसर, रडार, मिसाइलों के अलावा लड़ाकू विमानों की तैनाती भी इस इलाके में कर रही है। वायुसेना प्रमुख के मुताबिक अगले साल तक अरुणाचल में हवाई पंिट्टयों को विकसित कर लिया जाएगा जिससे सैन्य व असैन्य विमान संपर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी। वायुसेना कारगिल में भी नए ठिकाने को विकसित कर रही है।
वायुसेना के आधुनिकीकरण की धीमी गति बढ़ा रही फिक्र
राहा ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि वायुसेना की अधिकतर आधुनिकीकरण परियोजनाएं निर्धारित वक्त से पीछे चल रही हैं। उल्लेखनीय है कि वायुसेना के लिए 126 लड़ाकू विमानों की खरीद और हेलीकॉप्टर बेड़े के आधुनिकीकरण की परियोजना भी निर्धारित लक्ष्य से पीछे चल रही है। उनका कहना था कि वायुसेना पूरे देश की है और इसके लिए संसाधन जुटाना सरकार की जिम्मेदारी है। हालांकि राहा ने नई सरकार के रवैये की तारीफ करते हुए कहा कि इसके सत्ता संभालने के बाद योजनाओं के क्रियान्वयन की रफ्तार तेजी से बढ़ी है। उन्होंने उम्मीद भी जताई कि 126 लड़ाकू विमान खरीदने की परियोजना अंतिम चरण में है और जल्द ही इसके लिए करार हो जाएगा। भारत ने 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस की दासौ कंपनी के राफेल विमान का चुनाव किया था जिसके लिए बीते दो सालों से बातचीत चर रही है। सौदा होने के बाद भी पूरे विमान हासिल करने में करीब आठ सालों का वक्त लगेगा।