राजनीतिक सहमति से सुलझाया जाए भारत-चीन सीमा विवाद
चीन के प्रधानमंत्री ली कछयांग तीन दिवसीय भारत दौरे पर रविवार को दिल्ली पहुंचे। उल्लेखनीय है कि सीमा पर भारत-चीन का तनाव तो टल गया पर सैन्य विश्वास बढ़ाने के उपायों पर रस्साकसी जारी है। चीन की ओर से भेजे गए सीमा रक्षा सहयोग पर प्रस्तावित समझौते के कई प्रस्तावों पर भारतीय खेमे को आपत्तियां है। वहीं, सैन्य तालमेल बनाने
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हालिया सीमा विवाद के साये में चीन के प्रधानमंत्री ली कछ्यांग भारत के तीन दिवसीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंच गए हैं। रविवार रात को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर दोनों नेताओं के बीच सीमा विवाद समेत कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने इस दौरान अपने चीनी समकक्ष के सम्मान में रात्रिभोज भी दिया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली भी मौजूद रहे। इससे पहले मनमोहन सिंह और कछ्यांग के बीच हुई बातचीत में भारत-चीन सीमा विवाद को राजनीतिक सहमति से सुलझाने पर जोर दिया गया।
प्रधानमंत्री बनने के बाद कछ्यांग ने विदेश यात्रा के लिए सबसे पहले भारत को चुनकर अपनी वरीयता पर संदेश देने की कोशिश की है। ली मंगलवार को मुंबई से पाकिस्तान के लिए रवाना होंगे। रविवार को सात रेसकोर्स पर जब दोनों प्रधानमंत्री दावत से पहले आमने-सामने बैठे तो सीमा विवाद समेत तमाम अनसुलझे मुद्दों पर राजनीतिक सहमति बनाने पर जोर दिया गया। बिना राजनीतिक फैसले के सिर्फ नौकरशाहों के सहारे इस विवाद का समाधान निकलना बेहद मुश्किल है। दोनों ही देश लद्दाख जैसी स्थितियां भविष्य में न बनने देने के लिए सैद्धांतिक तौर पर राजी हैं। कुछ दिन बाद भारत-चीन सीमा विवाद पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बात होनी है। मनमोहन-ली की मुलाकात में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई। इस दौरान दोनों पक्षों का जोर विवादों से आगे बढ़कर वृहद दोस्ती पर रहा। भारत ने यह भी साफ कर दिया कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के लिए संवेदनशील मुद्दों पर बेहद सतर्कता बरतें। तिब्बत अगर चीन के लिए संवेदनशील मुद्दा है तो अन्य सीमा मुद्दों पर भारत बेहद सतर्क है। ऐसे में सोच-समझकर संयम के साथ राजनीतिक समाधान की दिशा में बढ़ा जाए।
गौरतलब है कि चीन अपने 15 में 14 पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद सुलझा चुका है। अकेले भारत के साथ विवाद को सुलझाने के लिए चीनी नेतृत्व पूरी ताकत लगा रहा है। दोनों देशों में सहमति बनी है कि सीमा विवाद के समाधान का असर सांस्कृतिक व व्यापारिक रिश्तों पर न पड़े। बड़े उद्योग प्रतिनिधिमंडल के साथ आए ली दोनों देशों के पहले सीईओ फोरम को भी संबोधित करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री की तरफ से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए उठाए गए नए कदमों और करीब 30 डॉलर के व्यापार घाटे को कम करने के लिए चीन के बाजार में भारतीय उत्पादों को जगह देने की घोषणा भी हो सकती है।
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