मोदी की लोकप्रियता के ईर्द-गिर्द भी नहीं हैं 'केजरीवाल'
आम आदमी पार्टी [आप] के संयोजक अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का ग्राफ दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। दिल्ली को बीच मंझधार में छोड़ कर जाना केजरीवाल पर ही भारी पड़ गया है। लोकप्रियता के पैमाने पर वह भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से कोसों दूर हैं। वहीं, राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री पद
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी [आप] के संयोजक अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का ग्राफ दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। दिल्ली को बीच मंझधार में छोड़ कर जाना केजरीवाल पर ही भारी पड़ गया है। लोकप्रियता के पैमाने पर वह भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से कोसों दूर हैं। वहीं, राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में उनसे कई कदम आगे हैं।
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के अनुसार दिल्ली की जनता के दिलों पर राज कर रही आम आदमी पार्टी का ग्राफ 49 दिन सत्ता में रहने के बाद उसको अलविदा कहने के साथ ही तेजी से गिरने लगा। सीएनएन-आइबीएन-सीएसडीएस के चुनाव सर्वेक्षणों के अनुसार जनवरी 2014 में आप का लोकप्रियता का ग्राफ चरम पर था। इसके बाद दिल्ली को छोड़कर अन्य राज्यों में इसकी लोकप्रियता में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है।
मोतीलाल ओसवाल द्वारा जारी एक चार्ट के अनुसार लोकप्रियता के पैमाने पर नरेंद्र मोदी अपने प्रतिद्वंद्वियों राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल से बहुत आगे हैं। जनवरी 2014 में मोदी के चाहने वालों की संख्या 53 फीसद थी। वहीं, फरवरी में यह बढ़कर 57 फीसद हो गई। मार्च में मोदी की लोकप्रियता में थोड़ी गिरावट आई और यह 54 फीसद हो गई।
दूसरी तरफ लोकप्रियता के पैमाने पर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी मोदी से पीछे दूसरे नंबर पर खड़े हैं। जनवरी में उनको पसंद करने वाले लोगों की संख्या 15 फीसद थी। वहीं, फरवरी में उनकी लोकप्रियता में 3 फीसद का उछाल आया। मार्च में भी उनकी लोकप्रियता का यह पैमाना 18 फीसद पर बरकरार रहा।
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद अरविंद केजरीवाल की गिरावट में 2 फीसद गिरावट आ गई। जनवरी में केजरीवाल को 5 फीसद लोग पसंद करते थे। फरवरी में इसमें दो फीसद गिरावट आई। मार्च में अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता 3 फीसद पर बरकरार रही।
चुनावी सर्वेक्षणों के आंकलन के आधार पर राजग स्पष्ट बहुमत के करीब बढ़ रहा है। पिछले कुछ महीनों से राजग के प्रति लोगों में तेजी से रुझान बढ़ रहा है। राजग में चुनाव पूर्व पार्टियों का गठबंधन हो रहा है, जो उसको मजबूती प्रदान कर रहा है। जबकि परपंरागत मतदाता वाली हिंदी पट्टी पर राजग के पक्ष में तेज हवा बहती हुई दिख रही है, वहीं दक्षिणी राज्यों में वह अपना खाता खोल सकता है।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषक आशीष गुप्ता और दीपांकर के अनुसार हाल के जनमत सर्वेक्षणों के अनुमान के अनुसार सरकार बनाने के लिए कई अन्य दलों से भी चुनाव के बाद गठबंधन की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में कई क्षेत्रीय दल सरकार में शामिल हो सकते हैं या उसे बाहर से समर्थन कर सकते हैं। ऐसे में नई सरकार बनाने के लिए पूर्ण समर्थन हासिल हो सकता है।
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