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भारी पड़ा कोल्लम पुलिस का फैसला बदलना

केरल के पुत्तिंगल देवी मंदिर में आग लगने की भीषण घटना में मरने वालों की संख्या 112 हो गई है। विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे 24 घायलों की स्थिति गंभीर बनी हुई है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Mon, 11 Apr 2016 10:42 PM (IST)
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कोल्लम। केरल के पुत्तिंगल देवी मंदिर में आग लगने की भीषण घटना में मरने वालों की संख्या 112 हो गई है। विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे 24 घायलों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस बीच, एक अहम खुलासे में पता चला है कि कोल्लम के मंदिर में पुलिस की इजाजत से आतिशबाजी प्रतियोगिता हो रही थी। पहले कहा जा रहा था कि पुलिस की इजाजत के बगैर आतिशबाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। लेकिन कोल्लम की जिलाधिकारी ए. शाइनमोल ने सोमवार को बताया कि पुलिस ने पहले इसकी अनुमति देने से इन्कार कर दिया था।

हालांकि, बाद में वह अपने फैसले से पीछे हट गई और नौ अप्रैल को आतिशबाजी की इजाजत दे दी गई। उन्होंने कहा कि इसको लेकर कोई राजनीतिक दबाव नहीं था। अब पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि पहले मना करने के बाद फैसले से पीछे हटने के क्या कारण थे?

इस रहस्योद्घाटन के बाद अपराध शाखा के प्रमुख एस अनंतकृष्णन ने कहा कि इस घटना की हर पहलू से जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और हम इस बात का पता लगाएंगे कि इसकी आपराधिक जिम्मेदारी किसकी है?

दूसरी तरफ, माक्र्सवादी नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने घटना की जांच एनआइए से करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि इस घटना में शक्तिशाली विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। इसलिए एनआइए की जांच से ही वास्तविकता का पता चल सकेगा।

ताक पर थे सारे नियम
हादसे की जांच करने पहुंचे मुख्य विस्फोटक नियंत्रक सुदर्शन कमल ने बताया कि आतिशबाजी के दौरान सभी नियम-कायदों को ताक पर रख दिया गया था। कमल और उनके साथ नागपुर से आए अधिकारियों की टीम ने घटनास्थल का दौरा किया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमने मलबे से नमूने ले लिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पटाखे बनाने में प्रतिबंधित रसायनों का इस्तेमाल किया गया था।

मंदिर में नहीं हुई पूजा

भीषण अग्निकांड के अगले दिन सोमवार को पुत्तिंगल देवी मंदिर बंद रहा। स्थानीय लोगों ने बताया कि परंपरागत रूप से प्रतिदिन होने वाली पूजा और अन्य कार्यक्रम नहीं हुए। मंदिर का कोई अधिकारी भी परिसर में मौजूद नहीं था। दिनभर लोग घटनास्थल को देखने के लिए आते रहे। मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है।

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