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आईएएस व आईपीएस समेत 67 हजार कर्मियों के काम की होगी समीक्षा

कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार की कोशिश उच्चस्तरीय कार्यकुशलता के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर पूर्ण अंकुश लगाने की है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 09:18 AM (IST)Updated: Mon, 19 Jun 2017 09:18 AM (IST)
आईएएस व आईपीएस समेत 67 हजार कर्मियों के काम की होगी समीक्षा

नई दिल्ली, एजेंसी। गैर निष्पादकों की पहचान के लिए केंद्र सरकार करीब 67 हजार कर्मचारियों के सर्विस रिकॉर्ड की समीक्षा कर रही है। इन कर्मचारियों में आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं। समीक्षा की यह कवायद सेवा वितरण और शासन प्रणाली में सुधार की सरकारी कोशिशों का हिस्सा है।

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कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस कवायद के परिणामस्वरूप उन कर्मचारियों को दंड भुगतना पड़ सकता है, जिन्होंने अपने लिए तय आचार संहिता का पालन नहीं किया है। उन्होंने बताया कि इन 67 हजार कर्मचारियों में करीब 25 हजार आईएएस व आईपीएस समेत अखिल भारतीय सेवा के ग्रुप-ए वर्ग के अधिकारी हैं।

कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि एक तरफ सरकार की कोशिश उच्चस्तरीय कार्यकुशलता के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर पूर्ण अंकुश लगाने की है। वहीं, दूसरी तरफ सरकार ईमानदार कर्मचारियों के लिए काम के अनुकूल वातावरण विकसित करना चाहती है। उन्होंने बताया कि सरकार समय-समय पर अपने कर्मचारियों के प्रदर्शन की समीक्षा करती है, ताकि ईमानदार कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया जा सके।

दो बार होता है आकलन

जितेंद्र सिंह ने बताया कि राजग सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में स्थानांतरण नीति और एलटीसी नियमों में कई तरह की छूट दी है, लेकिन इसके साथ ही अधिकारियों के प्रदर्शन और उनकी पदोन्नति की योग्यता के आकलन के लिए अधिक परिणामोन्मुख प्रणाली भी विकसित की है। मानकों के अनुसार, सेवा के दौरान सरकार अपने कर्मचारियों के प्रदर्शन का दो बार आकलन करती है। पहली बार 15 साल की सेवा के बाद और दूसरी बार 25 साल की सेवा के पश्चात।

मालूम हो कि केंद्र सरकार पिछले एक साल में आईएएस और आईपीएस समेत गैर-निष्पादन वाले 129 कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे चुकी है।

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