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सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति को लेकर सरकार का रुख नरम

फेसबुक जैसी सोशल साइटों पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हुई आलोचना के बाद केंद्र सरकार ने अपना रुख बदल लिया है। सरकार लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूरा अधिकार देते हुए सोशल मीडिया पर की जाने वाली टिप्पणियों के मामले में पूरी आजादी देने के

By anand rajEdited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 09:02 AM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 09:22 AM (IST)
सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति को लेकर सरकार का रुख नरम

नई दिल्ली (नितिन प्रधान)। फेसबुक जैसी सोशल साइटों पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हुई आलोचना के बाद केंद्र सरकार ने अपना रुख बदल लिया है। सरकार लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूरा अधिकार देते हुए सोशल मीडिया पर की जाने वाली टिप्पणियों के मामले में पूरी आजादी देने के हक में है। सरकार ने अपने रुख में आए इस ताजा बदलाव से सुप्रीम कोर्ट को भी अवगत करा दिया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर की जाने वाली टिप्पणियों को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) कानून की धारा 66 ए के तहत होने वाली कार्रवाई में नरमी बरती जा सकती है।

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सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपे अपने ताजा हलफनामे में कहा है कि आइटी कानून के प्रावधानों का अनुपालन संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में ही रहकर किए जाने की आवश्यकता है। सूत्रों के मुताबिक सरकार, का मानना है कि सोशल मीडिया पर नागरिकों के विचार व्यक्त करने के अधिकार पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। हालांकि, हलफनामे में सरकार ने कहा है कि कानून ऐसी टिप्पणियों के प्रति संज्ञान लेने की इजाजत देता है जो राष्ट्र हित अथवा समाज के हित में नहीं हैं। इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया पर की जाने वाली टिप्पणियों के लिए लोगों को पूरी आजादी मिलनी चाहिए क्योंकि यह सामाजिक बदलाव की दिशा में एक मजबूत मंच के तौर पर उभरा है। समझा जाता है कि सरकार के रुख में यह बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद आया है। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री खुद सोशल मीडिया के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के हक में हैं। लिहाजा उनकी सोच के अनुरूप ही कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह रुख अख्तियार किया है। माना जा रहा है कि इसके बाद आइटी कानून की धारा 66 ए में सोशल मीडिया पर ‘आपत्तिजनक कंटेंट’ की व्याख्या को और स्पष्ट किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में आइटी कानून की इस धारा की संवैधानिक वैधता की समीक्षा के मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा था। इस धारा के तहत सोशल मीडिया पर कंप्यूटर अथवा मोबाइल फोन पर की जाने वाली किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दिया गया है। इसके तहत तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। मुंबई के नजदीक ठाणे में दो लड़कियों द्वारा फेसबुक पर शिवसेना के मुंबई बंद को लेकर की गई टिप्पणी पर उनके खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद आइटी कानून की इस धारा पर बहस शुरू हुई।सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66 ए को अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में रहकर देखा जाए।

-कानून मंत्रलय, भारत सरकार

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