'केंद्र और राज्य सरकार ने किसानों से किए वादे नहीं किए पूरे'
मंदसौर में किसानों पर हुए बर्बर हमले को लेकर सीपीआईएम नेता ने कहा कि भाजपा और उनकी सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया है कि वे देश के किसानों के हित में नहीं खड़ी है।
नई दिल्ली (एएनआई)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मंगलवार को मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में हुई घटना की जमकर आलोचना की। मंदसौर में पुलिस की फायरिंग में पांच किसान मारे गए थे। पार्टी ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा है कि वे तीन साल पहले किये गए वादों को पूरा करे जो उन्होंने किसानें से किये थे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने कहा है कि इस घटना की हम निंदा करते हैं। मंदसौर में किसानों पर हुए बर्बर हमले को लेकर सीपीएम नेता ने कहा कि भाजपा और उनकी सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया है कि वे देश के किसानों के हित में नहीं खड़ी है। उन्होंने कहा हम किसानों के साथ खड़े हैं।
इस पर अपना पक्ष रखते हुए सीपीएम की पोलित ब्युरो सदस्य और पूर्व राज्य सभा सदस्य बृंदा करात ने सरकार के ऊपर किसानों की मांगें पूरी नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, अगर सरकार ने किसानों की मांग समय पर पूरी कर दी होती, तो ये स्थिति नहीं आती। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार का किसानों के साथ सही व्यवहार नहीं है। उन्होंने सरकार के द्वारा किसानों पर किये गए बल प्रयोग की भी तीखी आलोचना की। मध्य प्रदेश सरकार अपनी किसान विरोधी नीतियों के चलते कुख्यात रही है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को गुरुवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जब वे मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में पीड़ित किसानों से मिलने जा रहे थे। राहुल गांधी ने मीडिया से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना ही किसानों का कर्ज माफ किया ना ही उन्हें किसी तरह का मुआवजा दिया, बल्कि बदले में उन्हें गोलियां दी। इससे पहले राहुल ने ट्वीट किया था कि 'मध्यप्रदेश सरकार मुझे किसानों से न मिलने के लिए मंदसौर का दौरा रोकने का प्रयास कर रही है।' उन्होंने यह भी कहा कि यह कौन से कानून में लिखा है कि जिन किसानों को अपनी मांगें रखने के लिए बदले में उनकी जान ले ली गई उनके समर्थन में खड़ा होना गैरकानूनी है? राहुल गांधी ने मोटरसाईकिल से मंदसौर का दौरा करने का प्लान बनाया था। अन्य पार्टी नेता सचिन पायलट को भी उनके पीछे देखा गया।
इसी बीच मध्यप्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने स्वीकार किया है कि जांच में यह बात साबित हो चुकी है, कि पांच किसानों की मौत पुलिस के द्वारा हुई गोलीबारी से ही हुई है। मैंने पहले ही इस बात को लेकर आगाह किया था कि पुलिस की फायरिंग से किसानों की मौत हो सकती है जिसे कितने ही मीडिया चैनलों ने दिखाया भी था। इस बीच मंदसौर में एक नई हिंसा ने जन्म ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने कथित रूप से टोल प्लाजा में तोड़-फोड़ कर आठ से दस लाख रुपए लूट लिए। इधर मध्य प्रदेश सरकार ने मंदसौर कलेक्टर स्वतंत्र कुमार और डीएसपी ओमप्रकाश त्रिपाठी को उनके पद से हटा दिया क्योंकि वे मंदसौर में हुई घटना को नियंत्रण करने में नाकाम रहे थे। राज्य सरकार ने ओमप्रकाश श्रीवास्तव को मंदसौर का नया कलेक्टर नियुक्त किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि मंदसौर में गोलीबारी के कोई आदेश नहीं दिये गए थे। बल्कि हमने किसानों को केवल सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी। राज्य के किसानों ने अपने कर्ज माफी और उत्पादन मूल्य की मांगों को लेकर सड़कों में प्रदर्शन किया। नीमच के एक पुलिस स्टेशन में भी तोड़ फोड़ की गई, वहीं मंदसौर के कायमपुर के एक निजी बैंक पर भी हमला कर इसके एटीएम को जलाने की कोशिश की गई।
किसानों और प्रदर्शनकारियों ने आते-जाते वाहनों और पुलिस पर पत्थर भी फेंके। इसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने मंगलवार को एक भयावह रुप ले लिया जिसमें पुलिस की गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने किसानों को ही निशाना बनाया था क्योंकि उन्हें उपर से ऐसा करने का आदेश दिया गया था। घटना के मद्देनजर मंदसौर में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है, साथ ही इलाके में कर्फ्यु भी लगा दिया गया है।
कर्ज माफी के अलावा किसानों की ये मांग भी थी कि उन्हें एक लीटर दूध के 37 रुपए दिये जाने के बदले 50 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से मूल्य मिलने चाहिए। घटना के बाद, मुख्यमंत्री ने मंगलवार को मृतक के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए और घायलों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजे देने की घोषणा की। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सभी पीड़ितों के यहां से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की है।
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