घूस देने पर ही 'कौम दे हीरे' हुई थी रिलीज
भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार ने रिश्वत लेकर विवादस्पद पंजाबी फिल्म 'कौम दे हीरे' के रिलीज की अनुमति दे दी थी। सीबीआइ अब इसकी जांच कर रही है। जनवरी में सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को रिलीज करने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था। खुफिया ब्यूरो पहले ही इस फिल्म के रिलीज होने से
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार ने रिश्वत लेकर विवादस्पद पंजाबी फिल्म 'कौम दे हीरे' के रिलीज की अनुमति दे दी थी। सीबीआइ अब इसकी जांच कर रही है। जनवरी में सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को रिलीज करने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था। खुफिया ब्यूरो पहले ही इस फिल्म के रिलीज होने से पंजाब में हिंदुओं और सिखों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका जता चुका है। यही नहीं, भाजपा और कांग्रेस समेत पंजाब की कई पार्टियां फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग कर रही हैं। फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्यारे बेअंत सिंह, सतवंत सिंह और केहर सिंह के जीवन पर आधारित है।
सूत्रों के अनुसार सीबीआइ को ठोस जानकारी मिली है कि 'कौम दे हीरे' को रिलीज करने की अनुमति देने के एवज में राकेश कुमार को एक लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी। जांच एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और ठोस सुबूत मिलने पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, 'कौम दे हीरे' को इस साल जनवरी में फिल्म सेंसर बोर्ड ने रिलीज की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था। सेंसर बोर्ड को फिल्म के कई दृश्यों पर आपत्ति थी। लेकिन राकेश कुमार ने रिश्वत लेकर फिल्म को ए सर्टिफिकेट के साथ चार जुलाई को रिलीज करने की अनुमति दे दी।
पंजाबी के प्रसिद्ध गीतकार राज काकड़े ने इस फिल्म को निर्देशित किया है और वे खुद बेअंत सिंह का किरदार निभा रहे हैं। बताया जाता है कि फिल्म में आपरेशन ब्लू स्टार के बाद पंजाब में उत्पन्न स्थितियों को दिखाया गया है जिसमें कुछ लोग तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या तक का कदम उठाने को तैयार हो जाते हैं। फिल्म के खिलाफ सबसे बड़ा आरोप यह है कि इसमें इंदिरा गांधी के हत्यारों को हीरो के रूप में पेश किया गया है। वैसे सीबीआइ सेंसर बोर्ड के लगभग पांच दर्जन एजेंटों से पूछताछ की तैयारी में है। जांच एजेंसी का मानना है कि इन्हीं एजेंटों के नेटवर्क के माध्यम से राकेश कुमार वसूली का साम्राज्य चलाता था।
एजेंटों की हिरासत बढ़ीदूसरी ओर, घूसखोरी में गिरफ्तार मुंबई की अदालत ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड सलाहकार परिषद के सदस्य सर्वेश जायसवाल और एजेंट श्रीपति मिश्र की सीबीआइ हिरासत 22 अगस्त तक बढ़ा दी। सीईओ के एजेंट के रूप में काम करने वाले दोनों लोगों को 14 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था।
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