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निजी प्रकाशकों पर रोक नहीं, लेकिन एनसीईआरटी जरूरी

सीबीएसई की वेबसाइट पर ही स्कूलों से आनलाइन इंडेंट (खरीद की मांग) की व्यवस्था भी कर दी गई है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 07:57 PM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 08:13 PM (IST)
निजी प्रकाशकों पर रोक नहीं, लेकिन एनसीईआरटी जरूरी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने तय किया है कि फिलहाल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध निजी स्कूलों में निजी प्रकाशनों की किताबों पर रोक तो नहीं होगी, लेकिन स्कूल के लिए एनसीईआरटी की किताबें भी रखना जरूरी होगा। इस तरह सरकार किसी किताब की बिक्री को प्रतिबंधित करने से भी बच जाएगी और निजी स्कूलों का यह बहाना नहीं चल सकेगा कि एनसीईआरटी की सस्ती किताबें उपलब्ध ही नहीं हैं।

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने लंबे विचार-विमर्श के बाद तय किया है कि निजी स्कूलों और प्रकाशनों की सांठ-गांठ को तोड़ने के लिए दोहरा रवैया अपनाया जाएगा। इस संबंध में मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र कहते हैं, 'यह बहुत पेचीदा मामला है। आप स्कूल परिसर में किताबों पर ही प्रतिबंध लगा दें यह ठीक नहीं। ऐसे में निजी प्रकाशकों की किताबों की बिक्री पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती।

साथ ही अब तक एनसीईआरटी की किताबों की उपलब्धता को ले कर कुछ समस्या भी आती रही है। ऐसे में पहले एनसीईआरटी की किताबों के प्रकाशन और वितरण की व्यवस्था को पूरी तरह मुस्तैद किया गया है।' 680 वितरकों के अलावा के एनसीईआरटी के प्रमुख विक्रय केंद्रों पर भी इन किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी गई है।

इसी तरह सीबीएसई की वेबसाइट पर ही स्कूलों से आनलाइन इंडेंट (खरीद की मांग) की व्यवस्था भी कर दी गई है। मंगलवार तक सीबीएसई स्कूलों की मांग स्वीकार करेगा इसके बाद यह पूरा ब्योरा एनसीईआरटी को दे दिया जाएगा। इस तरह स्कूलों की ओर से अपनी हर कक्षा के लिए इन किताबों की खरीद सुनिश्चित की जा सकेगी।

इसी तरह मंत्रालय यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि स्कूल परिसर में बेची और पढ़ाई जाने वाली दूसरे प्रकाशकों की किताबें भी राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे के अनुरूप हों। इसके तहत सभी स्कूलों को कहा गया है कि वे अपने यहां पढ़ाई जा रही दूसरे प्रकाशकों की किताबें भी सीबीएसई के साथ साझा करें। सीबीएसई इन किताबों की नियमित रूप से समीक्षा कर के यह सुनिश्चित करेगा कि इनमें कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं हो और यह राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे से मेल खाती हों।

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