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स्टेटस में बदलाव जो कराए गए

सीबीआइ ने लिखा था कि कोयला खदान आवंटन के दौरान स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई भी ऐसा चार्ट नहीं बनाया था, जिसमें कंपनियों की क्षमता और आवंटन के आधार का कोई भी ब्योरा हो। कानून मंत्री ने जांच रिपोर्ट से ये बात हटवा दी। (विपक्ष के मुताबिक इससे साफ है कि स्क्रीनिंग कमेटी ने आवंटन से पहले कोई आकलन ही नहीं किया था।

By Edited By: Published: Tue, 07 May 2013 09:41 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2013 09:42 AM (IST)
स्टेटस में बदलाव जो कराए गए

नई दिल्ली। सीबीआइ ने लिखा था कि कोयला खदान आवंटन के दौरान स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई भी ऐसा चार्ट नहीं बनाया था, जिसमें कंपनियों की क्षमता और आवंटन के आधार का कोई भी ब्योरा हो। कानून मंत्री ने जांच रिपोर्ट से ये बात हटवा दी। (विपक्ष के मुताबिक इससे साफ है कि स्क्रीनिंग कमेटी ने आवंटन से पहले कोई आकलन ही नहीं किया था। लिहाजा इसे हटवा दिया गया।)

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सीबीआइ ने प्रगति रिपोर्ट में जांच का जो दायरा बनाया था, उसमें भी कानून मंत्री ने फेरबदल कराए। सीबीआइ ने सवाल उठाया था कि खदानों का आवंटन उस वक्त क्यों हुआ, जब सरकार आवंटन के तरीकों को बदलने के बारे सोच रही थी। इसमें भी कानून मंत्री के कहने पर बदलाव किए गए। (भाजपा ने याद दिलाया 2004 में पेश संशोधन को सरकार ने आठ साल लटकाए रखा और उसी बीच गलत ढंग से आवंटन किया था। यही खामी कैग रिपोर्ट में भी बताई गई थी।) सीबीआइ ने अपनी प्रगति रिपोर्ट में लिखा था कि कंपनियों को आवंटन के लिए कोई दिशा-निर्देश मापदंड या आधार नहीं था। यह बदलाव पीएमओ के संयुक्त सचिव के कहने पर हुआ था। (भाजपा के अनुसार यह अहम बिंदु है, जिसे हटवा दिया गया। दरअसल इसी की आड़ में कोयला मंत्रालय और पीएमओ ने कोयला ब्लॉक में मनमानी की। )सीबीआइ ने लिखा था कि कोयला खदान आवंटन के दौरान स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई भी ऐसा चार्ट नहीं बनाया था, जिसमें कंपनियों की क्षमता और आवंटन के आधार का कोई भी ब्योरा हो।

कानून मंत्री ने जांच रिपोर्ट से ये बात हटवा दी। (विपक्ष के मुताबिक इससे साफ है कि स्क्रीनिंग कमेटी ने आवंटन से पहले कोई आकलन ही नहीं किया था। लिहाजा इसे हटवा दिया गया।) सीबीआइ ने प्रगति रिपोर्ट में जांच का जो दायरा बनाया था, उसमें भी कानून मंत्री ने फेरबदल कराए। सीबीआइ ने सवाल उठाया था कि खदानों का आवंटन उस वक्त क्यों हुआ, जब सरकार आवंटन के तरीकों को बदलने के बारे सोच रही थी। इसमें भी कानून मंत्री के कहने पर बदलाव किए गए। (भाजपा ने याद दिलाया 2004 में पेश संशोधन को सरकार ने आठ साल लटकाए रखा और उसी बीच गलत ढंग से आवंटन किया था। यही खामी कैग रिपोर्ट में भी बताई गई थी।) सीबीआइ ने अपनी प्रगति रिपोर्ट में लिखा था कि कंपनियों को आवंटन के लिए कोई दिशा-निर्देश मापदंड या आधार नहीं था। यह बदलाव पीएमओ के संयुक्त सचिव के कहने पर हुआ था। (भाजपा के अनुसार यह अहम बिंदु है, जिसे हटवा दिया गया। दरअसल इसी की आड़ में कोयला मंत्रालय और पीएमओ ने कोयला ब्लॉक में मनमानी की। )

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