मैक्सिस सौदे में चिदंबरम की भूमिका की होगी जांच
सीबीआइ उन परिस्थितियों की जांच करेगी, जिसमें एयरसेल-मैक्सिस सौदे को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एफआइपीबी के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
नई दिल्ली। सीबीआइ उन परिस्थितियों की जांच करेगी, जिसमें एयरसेल-मैक्सिस सौदे को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एफआइपीबी के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। सीबीआइ ने जज ओपी सैनी की विशेष अदालत में दाखिल आरोप पत्र में जांच एजेंसी ने कहा है कि मारिशस की मैक्सिस की सहायक कंपनी एम/एस ग्लोबल कम्यूनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग्स लिमिटेड ने 8000 लाख डॉलर (करीब 4900 करोड़ रुपये) के प्रस्ताव पर मंजूरी मांगी थी। जिस पर मंजूरी देने के लिए आर्थिकमामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) अधिकृत था। एजेंसी का कहना है कि वित्त मंत्री 600 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर मंजूरी दे सकते थे। इसके ऊपर की राशि के प्रस्ताव पर सीसीईए की मंजूरी जरूरी थी। जबकि चिदंबरम ने अपने पहले के बयान पर कायम रहते हुए कहा है कि 2006 में फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआइपीबी) द्वारा एयरसेल-मैक्सिस सौदे को मंजूरी दिए जाने में नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। एयरसेल-मैक्सिस मामले में अपने निर्णय को लेकर सीबीआइ के आरोप पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इससे संबंधित फाइल अधिकारियों द्वारा उनके सामने रखी गई थी और उन्होंने सामान्य तरीके से उसे मंजूरी दी थी।
चिदंबरम ने कहा कि इस मामले में एफआइपीबी ने नियमों के मुताबिक वित्त मंत्री की मंजूरी मांगी थी। मामले को आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के अतिरिक्त सचिव और सचिव के माध्यम से लाया गया था। दोनों ने इसे मंजूरी देने की अनुशंसा की थी और मैंने वित्त मंत्री के रूप में सामान्य रूप से इसे मंजूरी दी। मैं समझता हूं कि मामले को देखने वाले एफआइपीबी के अधिकारियों ने सीबीआइ को बताया है कि उस समय के नियमों के मुताबिक इसे लेकर केवल वित्त मंत्री की मंजूरी जरूरी थी।
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