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व्यापमं घोटाले में बिहार के 5500 स्टूडेंट्स की तलाश, फर्जी परीक्षार्थी कहे जाते थे 'इंजन'

मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले में सीबीआइ बिहार के 5500 स्टूडेंट्स की तलाश कर रही है। इसके तार मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच से भी जुड़ते नजर आ रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 08:15 AM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 10:57 PM (IST)

मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। मध्य प्रदेश के व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले के तार मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) समेत बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। इस घोटाले के सिलसिले में सीबीआइ एसकेएमसीएच के 103 सहित बिहार के करीब 5500 स्टूडेंट्स को तलाश रही है।

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खास बात यह भी है कि इस घोटाला में परीक्षार्थी दो कोड नाम 'बोगी' और 'इंजन' रखे जाते थे। असली परीक्षार्थियों काे 'बोगी', जबकि फर्जी परीक्षार्थियों को 'इंजन' कहा जाता था। मामले के जांच अधिकारी सीबीआइ के पुलिस उपाधीक्षक आरके दास के पत्र से इसका खुलासा हुआ है। सीबीआइ ने एसकेएमसीएच के प्राचार्य डॉ. विकास कुमार को 103 मेडिकल स्टूडेंट्स की तस्वीरें, हस्ताक्षर व अंगूठे के निशान भेजे हैं। सीबीआइ को अंदेशा है कि वे सभी मध्य प्रदेश की मेडिकल प्रवेश परीक्षा (पीएमटी) में दूसरों की जगह शामिल हुए थे।

सीबीआइ ने प्राचार्य से जानकारी मांगी है कि क्या ये स्टूडेंट्स अब भी एसकेएमसीएच में पढ़ाई कर रहे हैं। यदि पूर्व में भी यहां के स्टूडेंट रहे हों तो यह जानकारी भी भेजी जाए। इसके अलावा सभी की तस्वीर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के नोटिस बोर्ड पर भी चिपकाई जाए, ताकि अन्य चिकित्सक व कर्मी उनकी पहचान कर जानकारी दे सकें। विवरण के अनुसार वे वर्ष 2013 के स्टूडेंट्स हैं।

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लगातार दौरे पर आ रहे अधिकारी

व्यापमं घोटाले की जांच को लेकर वर्ष 2013 के बाद से एसकेएमसीएच में कई बार मध्य प्रदेश से अधिकारी आ चुके हैं। सीआइडीएफ के शंभू सिंह ने यहां आकर कई छात्रों के बारे में जानकारी मांगी थी। वर्ष 2015 के फरवरी में कार्यालय सहायक एसटीएफ मध्य प्रदेश भोपाल से निर्गत पत्र प्राचार्य को सौंपा गया था। इसके बाद अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी यह पत्र पहुंचने की बात सामने आई थी।

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एसकेएमसी के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. उषा शर्मा को सौंपे पत्र की समुचित जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट स्पीड पोस्ट से भेजने को कहा गया था। इसके पश्चात महाविद्यालय में हड़कंप मच गया था। तीन-चार स्टूडेंट्स फरार भी हो गए थे। मगर, उनकी संलिप्तता साबित नहीं हुई। बताया गया वे जरूरी काम से कहीं गए थे।


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