Move to Jagran APP

फिलहाल बच गए रेल मंत्री

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कांग्रेस ने रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के इस्तीफे से भले ही इन्कार कर दिया हो, लेकिन घूसकांड के चलते पैदा परिस्थितियों से सरकार और पार्टी दोनों की बेचैनी बढ़ गई है। यही वजह है कि बंसल की पेशकश के बाद भी कांग्रेस उनके इस्तीफे पर अंतिम फैसला नहीं कर सकी है। दरअसल यह डर सता रहा है कि बंसल के इस्तीफे के साथ ही कई और इस्तीफों का पिटारा न खुल जाए। खासकर तब जबकि अगले तीन दिनों में कोयला घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है और कानून मंत्री अश्विनी कुमार खतरे से बाहर नहीं हैं।

By Edited By: Published: Sun, 05 May 2013 09:15 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2013 09:15 AM (IST)
फिलहाल बच गए रेल मंत्री

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कांग्रेस ने रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के इस्तीफे से भले ही इन्कार कर दिया हो, लेकिन घूसकांड के चलते पैदा परिस्थितियों से सरकार और पार्टी दोनों की बेचैनी बढ़ गई है। यही वजह है कि बंसल की पेशकश के बाद भी कांग्रेस उनके इस्तीफे पर अंतिम फैसला नहीं कर सकी है। दरअसल यह डर सता रहा है कि बंसल के इस्तीफे के साथ ही कई और इस्तीफों का पिटारा न खुल जाए। खासकर तब जबकि अगले तीन दिनों में कोयला घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है और कानून मंत्री अश्विनी कुमार खतरे से बाहर नहीं हैं।

loksabha election banner

एक के बाद एक हो रही घटना और संसद से सड़क तक विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच कांग्रेस व सरकार की दुविधा चरम पर पहुंच गई है। शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, रक्षा मंत्री एके एंटनी, वित्ता मंत्री पी चिदंबरम, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे व अहमद पटेल की मौजूदगी में शाम को प्रधानमंत्री आवास पर हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में भी यह फैसला नहीं हो सका कि बंसल का क्या किया जाए। जबकि, उससे पहले बंसल दोपहर में प्रधानमंत्री से लगभग घंटेभर की मुलाकात में सफाई देने के साथ ही खुद के इस्तीफे की पेशकश कर चुके थे।

सूत्रों की मानें तो अब बंसल के इस्तीफे पर फैसले के पहले कांग्रेस कोर ग्रुप की फिर से बैठक हो सकती है। हालांकि, बंसल पर फैसला टलने की वजहों में रविवार को कर्नाटक विधानसभा के लिए होने वाले मतदान को बताया जा रहा है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि सोमवार को संसद में बंसल खुद ही इस मामले में बयान दे सकते हैं।

कांग्रेस महासचिव व मीडिया विभाग के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी ने दिन में ही बंसल मामले में पार्टी की स्थिति स्पष्ट करते हुए इस्तीफे से इन्कार कर दिया था। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने एक झटके में भले ही बंसल के इस्तीफे से इन्कार कर दिया हो, लेकिन इस घूसकांड से पैदा हुई स्थितियों से सरकार और पार्टी में बेचैनी बढ़ गई है। चूंकि मामला स्पष्ट है। सीबीआइ रिश्वत के 90 लाख रुपये और रेल मंत्री के भांजे के साथ ही मामले से जुड़े सभी लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। फिर भी वह बंसल के इस्तीफा लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। उसे डर है कि बंसल का इस्तीफा लेते ही विपक्ष व भाजपा कोयला घोटाले मामले में सीबीआइ जांच रिपोर्ट को लेकर उलझे कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे का दबाव बनाने लग जाएगी।

इस बीच, बंसल ने यह सफाई दी है कि उनका न तो सिंगला से और न ही इस घूसकांड से कोई देना-देना नहीं है। सिंगला से उनके कारोबारी रिश्ते भी नहीं हैं। यह भी कहा है कि वे इस मामले में जल्द सीबीआइ जांच पूरी चाहते हैं। कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में बतौर विशेष आमंत्रित बुलाए गए बंसल ने वहां भी अपना पक्ष रखा।

शुरू से सवालों के घेरे में रहे हैं बंसल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। यूं तो पवन बंसल की कार्यशैली और चंडीगढ़-पंजाब कनेक्शन के चर्चे उनके रेलमंत्री बनने के बाद ही शुरू हो गए थे, मगर चर्चो ने जोर रेल बजट के बाद पकड़ा। रेल बजट में चंडीगढ़ और पंजाब के आगे अन्य क्षेत्रों की उपेक्षा के खिलाफ संसद में कई दलों ने आपत्तिउठाई। मुखर विरोध संप्रग के ही घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का था। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तार प्रदेश की ओर से विरोध के स्वर सुनाई दिए।

बंसल ने रेल मंत्री बनते ही पहला बड़ा काम उत्तार रेलवे के जीएम के रूप में वीके गुप्ता की नियुक्ति का किया। जबकि गुप्ता से ज्यादा वरिष्ठ अधिकारी इस पद की होड़ में थे। मगर वह पंजाब से आते हैं इसलिए पंजाब कनेक्शन की बात उठी। अपने पूर्ववर्तियों से इतर बंसल ने किसी मीडिया एडवाइजर की नियुक्ति करना जरूरी नहीं समझा। यह पद अभी भी खाली है। खर्च घटाने के नाम पर उन्होंने कुछ समितियां भंग कर दीं और रेलवे के विज्ञापनों में कटौती कर दी।

रेलमंत्री बनने के बाद बंसल का सबसे पहला अहम नीतिगत फैसला किरायों में वृद्धि का था। इसकी घोषणा ऐसे वक्त की गई जब सारे रेल संवाददाता मुंबई में थे। उन्हें इसकी जानकारी अपने-अपने मोबाइल फोन पर मिली। इन सबको उन्हीं पश्चिम रेलवे के जीएम महेश कुमार से मिलाने के लिए भेजा गया था जो अब सीबीआइ की गिरफ्त में हैं। बाद में दिल्ली लौटकर संवादाताओं ने जब बंसल से इस हड़बड़ी का कारण पूछा तो उनका जवाब था, 'कारण मैं आपको बता नहीं सकता।' रेलवे बोर्ड के मेंबर बनाए गए महेश कुमार की अहमियत इसलिए बढ़ गई थी कि इस वर्ष रेलवे में 51 हजार नई नियुक्तियां होनी थीं। यह सारा काम इन्हें ही देखना था।

इससे पहले बंसल चंडीगढ़ के लिए तीसरी और सीधी शताब्दी चलाने का एलान कर अपने संसदीय क्षेत्र में शोहरत बटोर चुके थे, लेकिन बजट से पहले उन्होंने अचानक रेलवे कैटरिंग में आमूलचूल बदलाव की बातें करनी शुरू कीं तो खुशी के साथ कुछ लोगों का माथा भी ठनका। उन्होंने 20 मई तक कैटरिंग के नए ठेके देने और पुराने ठेके रद करने का एलान कर दिया। मजे की बात यह है कि ठेकों के नवीनीकरण की प्रक्रिया भी पूरी भी नहीं हुई है, मगर रेलवे में खाने-पीने के सामान के दाम पहले ही बढ़ गए हैं। नए ठेकों के बाद यात्रियों को ट्रेनों में ज्यादा दाम पर कम आइटम मिलेंगे। इसी तरह रेलवे आरक्षण की गड़बड़ियां ठीक करने के नाम पर बंसल ने अग्रिम आरक्षण की अवधि को 120 दिन से घटाकर 60 दिन कर दिया है।

पहले किराये बढ़ाने के बाद बंसल ने रेल बजट में आरक्षण व रद्दीकरण शुल्क वगैरह भी बढ़ा दिए। जबकि भाड़ों में ईधन समायोजन प्रभार लगा दिया। पंजाब व हरियाणा को ज्यादा ट्रेनें दीं। जबकि चंडीगढ़ को एक इलेक्ट्रानिक्स इक्विपमेंट फैक्ट्री की सौगात दी। आम यात्रियों की तमाम सहूलियतों को नकार ट्रेनों में 'अनुभूति' सुपर लक्जरी कोच लगाने के उनके एलान पर कई हलकों में हैरानी जताई गई। बंसल का कार्यकाल रेलवे में सुधारों के लिए जाना जाएगा अथवा घोटालों के लिए यह तो वक्त ही बताएगा।

रेल मंत्री के भांजे समेत चार सीबीआइ रिमांड पर

नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड में मेंबर [स्टाफ] नियुक्ति में रिश्वत लेने के मामले में फंसे रेल मंत्री पवन बंसल के भांजे विजय सिंगला सहित चार आरोपियों को अदालत ने चार दिनों के सीबीआइ रिमांड पर भेज दिया। इनमें सिंगला के अलावा संदीप गोयल, धमेंद्र कुमार और विवेक कुमार शामिल हैं। पेशी के दौरान कई वकीलों ने रेलमंत्री को गिरफ्तार करने की मांग की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। इस मामले में अब तक कुल दस लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।

शनिवार को पटियाला हाउस कोर्ट की स्पेशल सीबीआइ जज स्वर्ण कांता शर्मा की अदालत में सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा कि रेलवे बोर्ड रिश्वत प्रकरण के पीछे बड़ा षडयंत्र है। इसके पीछे किन लोगों का हाथ है और इससे वास्तव में किसे फायदा पहुंच रहा है, इसकी जांच करनी है। इसके अलावा समीर सिंघानी नामक आरोपी को गिरफ्तार किया जाना है। जांच एजेंसी ने कहा कि छानबीन में पता चला है कि डील 10 करोड़ में हुई थी। पार्ट पेमेंट के रूप में 90 लाख विजय सिंगला को दिए गए थे। सीबीआइ अभी तक महेश कुमार, विजय सिंगला, मंजूनाथ, संदीप गोयल, चंडीगढ़ के अजय गर्ग, नई दिल्ली के राहुल यादव, संधीर और फरीदाबाद के सुशील डागा के साथ धर्मेद्र कुमार और विवेक कुमार को गिरफ्तार कर चुकी है।

पूरे घटनाक्रम में जीजी ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का प्रबंध निदेशक नारायण मंजूनाथ मुख्य फाइनेंसर है। वह काफी समय से महेश कुमार को रेलवे बोर्ड का मेंबर (इलेक्ट्रिकल) बनवाने का प्रयास कर रहा था। बचाव पक्ष के वकील ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल जो कुछ जानते थे, उसे सीबीआइ को बता दिया है। सिंगला के पास से जो रुपये सीबीआइ ने बरामद किए है उसे किसी ने उन्हें जमीन डील के लिए दिए थे और इसका महेश कुमार की नियुक्ति से कोई लेना-देना नहीं है। पेशी के दौरान अदालत में कई वकील आ गए और अदालती कार्रवाई को बाधित किया।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.