चूहों से निजात पाने को यहां थाने में पाली जा रहीं बिल्लियां
जीआरपी थाने में चूहों का आतंक इस कदर हुआ कि बिल्लियां तैनात करनी पड़ीं। जबसे बिल्लियों की तैनाती हुई है, चूहे दुम दबाकर भाग रहे हैं। 15 दिन से थाने को भी सुकून है और जवानों को भी। थाने में चूहे क्या खा रहे थे यह तो पता नहीं, लेकिन
खंडवा। जीआरपी थाने में चूहों का आतंक इस कदर हुआ कि बिल्लियां तैनात करनी पड़ीं। जबसे बिल्लियों की तैनाती हुई है, चूहे दुम दबाकर भाग रहे हैं। 15 दिन से थाने को भी सुकून है और जवानों को भी। थाने में चूहे क्या खा रहे थे यह तो पता नहीं, लेकिन बिल्लियों के लिए दूध का इंतजाम जरूर किया जा रहा है।
रेलवे स्टेशन पर चूहों की समस्या नई नहीं है। कई बार स्टेशन परिसर के कुछ हिस्से और प्लेटफॉर्म तक चूहों की सेंध के कारण धंस चुके हैं। चूहों की समस्या से निपटने के लिए रेलवे प्रशासन ने भले ही किसी तरह की पहल नहीं की हो, लेकिन जीआरपी को एक नया तरीका हाथ लग गया है।
यहां पदस्थ कुछ पुलिसकर्मियों की मानें तो करीब 15 दिन पहले दो बिल्लियां थाने में कहीं से आ गईं। इन्हें थाने से बाहर किया गया, लेकिन दूसरे दिन फिर आ गईं। तभी से थाना बिल्लियों का आसरा बन गया। इसके बाद से पुलिस जवानों ने महसूस किया कि थाने में चूहों की तादाद कम हो गई है। फिर क्या था बिल्लियों की परवरिश शुरू हो गई। कोई इन्हें दूध पिलाता है तो कोई रोटी के टुकड़े देता है।
एक पुलिसकर्मी ने बताया कि बिल्लियों को किसी तरह कैद कर नहीं रखते। ये कभी स्टेशन तो कभी थाने में आकर बैठ जाती हैं। थाने में इस तरह बिल्लियां तो नहीं पाली जा सकतीं, लेकिन चूहों से यदि निजात मिलती है तो इसमें हर्ज क्या है?
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