नई कैटरिंग पालिसी से खानपान एसोसिएशन निराश
एसोसिएशन के अध्यक्ष रवींद्र गुप्ता ने कहा कि 2017 की नई नीति में 30 हजार स्टाल/ट्रालियों के लाइसेंसियों की यूनिटों के समयबद्ध नवीकरण की घोषणा नहीं की गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसिएशन ने रेलवे की नई खानपान नीति पर निराशा जताई है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष रवींद्र गुप्ता ने कहा कि 2017 की नई नीति में 30 हजार स्टाल/ट्रालियों के लाइसेंसियों की यूनिटों के समयबद्ध नवीकरण की घोषणा नहीं की गई है। इससे तीन लाख लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लाइसेंस फीस निर्धारण के लिए राष्ट्रीय नीति की मांग को भी स्वीकार नहीं किया गया है। खाने-पीने की वस्तुएं बेचने वालों को एक ही नीति के तहत लाने की मांग न मानकर चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
अनारक्षित व आरक्षित वर्ग के लाइसेंसियों के स्टाल ट्रालियों को 2009 में खानपान नीति का उल्लंघन करते हुए तोड़ दिया गया था। उन्हें बहाल करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। खानपान सलाहकार समिति के गठन को भी नजरअंदाज किया गया है। एसोसिएशन की मांग थी कि एकाधिकार समाप्त करने के लिए किसी को भी 10 से ज्यादा यूनिटें आवंटित न की जाएं। परंतु नीति में एक डिवी़जन में पांच यूनिट आवंटित करने का प्रावधान कर दिया गया है। इससे एक ठेकेदार 70 डिवी़जनों में कुल 350 यूनिटें ले सकेगा। नीति में आर्थिक रूप से कमजोर तथा दिव्यांग लोगों के लिए भी टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने का प्रावधान कर उनके साथ मजाक किया गया है। इंटरनेट कनेक्टिविटी के बगैर सभी स्टाल व ट्रालियों के लिए स्वाइप मशीन की अनिवार्यता कैसे लागू यह भी स्पष्ट नहीं है।
गुप्ता ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश का उल्लंघन की उत्तर मध्य रेलवे में, विशेषकर आगरा डिवीजन में 2015 और जनवरी 2016 के बीच जिन लोगों की स्टाल व ट्रालियां हटाई गई थीं, उन्हें बहाल करने की कोई व्यवस्था भी नहीं की गई है। इसी तरह रेलवे बोर्ड के प्रपत्र-37 के अनुसार बंद वाराणसी डिवीजन में बंद यूनिटों को खोलने के बारे में भी नीति खामोश है।