मुख्यमंत्री अखिलेश को दो आवास आवंटित करने का मामला पहुंचा सुप्रीमकोर्ट
सुप्रीमकोर्ट में यह याचिका गैरसरकारी संगठन लोक प्रहरी ने दाखिल की है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। चुनाव के मौसम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए नयी समस्या जन्म लेती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दो आवास आवंटित होने का मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट से मांग की गयी है कि मुख्यमंत्री को आवंटित 4 विक्रमादित्य मार्ग का दूसरा आवास रद किया जाये। क्योंकि कानूनन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक ही आवास मिल सकता है और उस हिसाब से 5 कालीदास मार्ग मुख्यमंत्री का पहले से ही सरकारी आवास है। सुप्रीमकोर्ट में यह याचिका गैरसरकारी संगठन लोक प्रहरी ने दाखिल की है।
संगठन ने अपने महासचिव एसएन शुक्ला के जरिये पहले यह याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की थी लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि निजता और सुविधा के लिहाज से मुख्यमंत्री दूसरा आवास ले सकते हैं। हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद संगठन ने सुप्रीमकोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है जिस पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी।
याचिका में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया है कि हाईकोर्ट ने कानूनी सवाल पर विचार करने के बजाए प्रारंभिक सुनवाई में ही याचिका खारिज कर दी जो कि ठीक नहीं है। उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाएं) अधिनियम 1981 मुख्यमंत्री को एक सरकारी आवास दिये जाने की बात करता है। जिसके हिसाब से 5 कालीदास मार्ग मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक सरकारी आवास होते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 4 विक्रमादित्य मार्ग पर दूसरा सरकारी आवास भी आवंटित कर दिया गया। मुख्यमंत्री को दो सरकारी आवास आवंटित करना कानून के खिलाफ है। मांग की गई है कि मुख्यमंत्री को 4 विक्रमादित्य मार्ग का आवंटन रद किया जाए। याचिका में प्रदेश सरकार के अलावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी पक्षकार बनाया गया है।
इस संगठन ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास आवंटित करने के नये कानून को भी सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दे रखी है। उस याचिका पर पहले ही कोर्ट से नोटिस जारी हो चुका है। अखिलेश के दूसरे आवास के बारे में यह नयी याचिका डाली गयी है।
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