Move to Jagran APP

एसी क्लास के किराये न बढ़े तो बंद करने पड़ेंगे मुफ्त रेल पास : CAG

रिपोर्ट के मुताबिक पटरियों का रखरखाव स्थापित दिशानिर्देशों के अनुसार करने की जरूरत है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 08:25 PM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 10:02 PM (IST)
एसी क्लास के किराये न बढ़े तो बंद करने पड़ेंगे मुफ्त रेल पास : CAG
एसी क्लास के किराये न बढ़े तो बंद करने पड़ेंगे मुफ्त रेल पास : CAG

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग ने फ‌र्स्ट एसी, सेकंड एसी तथा फ‌र्स्ट क्लास के कम किरायों से नुकसान का हवाला देते हुए रेलवे को इनकी पूरी लागत वसूलने की सलाह दी है। कैग ने चेताया है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो विभिन्न वर्गो को किराये में रियायत व मुफ्त पास देने की प्रथा बंद करनी पड़ सकती है।

loksabha election banner

संसद में पेश अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि प्रचालन की पूरी लागत वसूलने तथा घाटे में कमी लाने के लिए रेल मंत्रालय को अपने यात्री तथा अन्य कोचिंग दरों का पुनरीक्षण करने की जरूरत है। यात्री किराया तथा माल भाड़ा दरों का निर्धारण लागत के आधार पर होना चाहिए। ताकि रेलवे की माली हालत मौजूदा बाजार परिदृश्य के अनुसार दरों को तर्कसंगत एवं लोचदार बनाया जा सके। एसी फ‌र्स्ट क्लास, फ‌र्स्ट क्लास तथा एसी सेकंड क्लास में यात्री सेवाओं की पूरी लागत न वसूले जाने का कोई औचित्य नजर नहीं आता। यदि इन श्रेणियों में पूरी लागत वसूली नहीं जाएगी तो बड़ी संख्या में विभिन्न यात्री वर्गो को किरायों में रियायत देने तथा मुफ्त पास जारी करने की परिपाटी पर अंकुश लगाना पड़ेगा।

आपरेटिंग रेशियो पर चिंता

कैग ने रेलवे के बढ़ते आपरेटिंग रेशियो पर भी चिंता जताई है। हालांकि वर्ष 2000-1 में 98.34 फीसद पर पहुंचने के बाद 2016-17 में आपरेटिंग रेशियो 96.50 फीसद पर आ गया। परंतु यदि पेंशन भुगतान पर होने वाले वास्तविक खर्च को जोड़ लिया जाए तो यह 99.54 फीसद निकलता है। चूंकि आपरेटिंग रेशियो रेलवे की कार्यप्रणाली का प्रत्यक्ष संकेतक होता है लिहाजा रेल मंत्रालय को राजस्व में बढ़ोतरी के विभिन्न नवीन तरीकों के साथ-साथ खर्चो में कटौती के उपायों पर गौर करना चाहिए।

ट्रैक रखरखाव में लापरवाही

रेलवे ट्रैक के रखरखाव में लापरवाही बरती जाती है। कैग रिपोर्ट के अनुसार ट्रैक के रखरखाव में लापरवाही के कारण 2014-15 से 2016-17 के दो सालों में पांच रेलवे जोनों में ट्रेन के पटरी से उतरने की 16 दुर्घटनाएं हुई। इनमें दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-मध्य, पूर्व-मध्य, दक्षिण-पूर्व तथा दक्षिण रेलवे शामिल हैं।

कैग के मुताबिक इस दौरान पटरी दुरुस्त न होने के कारण 294 मामलों में स्थायी रूप से गति संबंधी प्रतिबंध लगाने पड़े। कैग रिपोर्ट में 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च, 2017 के दौरान अत्यधिक यातायात वाले चुनिंदा 29 तथा सामान्य यातायात वाले आठ सेक्शनों को शामिल किया गया है। इनमें से 37 सेक्शनों में ट्रैक के रखरखाव में कमी पाई गई। यहां निर्धारित नियमों के अनुरूप निरीक्षण भी नहीं किए जा रहे थे। उत्तर-मध्य रेलवे में तो रखरखाव योजनाएं ही तैयार नहीं की गई थीं। जबकि दक्षिण-पूर्व रेलवे में गड़बड़ी सामने आने के बाद सुधारात्मक उपाय किए जा रहे थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.