किसान बीमा का दायरा बढ़ाने पर यूपी कैबिनेट ने लगाई मुहर
समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के तहत बीमित व्यक्ति की प्रदेश के बाहर दुर्घटनावश मृत्यु या दिव्यांगता होने पर भी उसे योजना का लाभ मिलेगा।
लखनऊ। समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के तहत बीमित व्यक्ति की प्रदेश के बाहर दुर्घटनावश मृत्यु या दिव्यांगता होने पर भी उसे योजना का लाभ मिलेगा। योजना का लाभ पाने के लिए समाजवादी पेंशनधारकों, बीपीएल कार्डधारकों और खतौनी में खातेदारों/सह-खातेदारों के तौर पर दर्ज किसानों को आय प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं होगी। योजना के दायरे में आने वाले खातेदारों, सह-खातेदारों और 75 हजार रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों से निवास प्रमाणपत्र लिये जाने की शर्त भी खत्म कर दी गई है।
समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना को अधिक लोकप्रिय और प्रभावशाली बनाने के लिए कैबिनेट ने मंगलवार को योजना में कई बदलाव किये हैं। योजना में व्यवस्था की गई है कि प्रदेश के अंदर या बाहर दुर्घटना होने पर बीमित व्यक्ति को फौरी तौर पर नजदीक के किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया जाएगा चाहे वह चिकित्सालय योजना में सूचीबद्ध हो या न हो। इलाज पर आने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति बीमा कंपनी करेगी। योजना में पहले व्यवस्था थी कि बीमित व्यक्तियों को जनसुविधा केंद्रों के माध्यम से समाजवादी केयर कार्ड जारी किये जाएंगे। अब तय हुआ है कि शिक्षित बेरोजगारों को समाजवादी बीमा मित्र बनाकर उनके माध्यम से कार्ड बनवाये जाएंगे। बीमा मित्रों का इस्तेमाल योजना के प्रचार-प्रसार में भी किया जाएगा।
यह भी संशोधन किया गया है कि बीमा कंपनियों को जो भी प्रीमियम दिया जाएगा, उसका दो प्रतिशत उन्हें प्रचार-प्रसार पर खर्च करना होगा। लाभार्थी, पुलिस स्टेशन, अस्पताल और बीमा कंपनी के बीच पहले से संचालित मुख्यमंत्री बैंकिंग एवं बीमा हेल्पलाइन-1520 के माध्यम से इस तरह संयोजन किया जाएगा ताकि दुर्घटना होने पर तुरंत एंबुलेंस व थाने को सूचना हो सके। यह हेल्पलाइन 24 घंटे चालू रहेगी। जिलों में योजना के संचालन की जिम्मेदारी अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) को सौंपने के साथ ही उनके पदनाम को बदलकर एडीएम (वित्त, राजस्व एवं बीमा) करने का निर्णय किया गया है। कैबिनेट ने योजना के तहत कार्ड बनाने वाली कंपनी, बीमा कंपनी और सेवाप्रदाता के चयन के लिए नियम, शर्तों व प्रक्रियाओं को भी अंतिम रूप दिया।
जंगली जानवरों के हमले से भी बीमा सुरक्षा
योजना में पहले सांप के काटने पर मौत होने पर बीमा सुरक्षा देने का प्रावधान था। अब जंगली जानवरों के हमले से मौत या दिव्यांगता होने पर भी बीमा का लाभ दिया जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष के बजट में घोषित की गई इस योजना के तहत दुर्घटना के कारण मृत्यु और पूर्ण दिव्यांगता होने पर बीमा राशि के रूप में पांच लाख रुपये दिये जाएंगे। वहीं दुर्घटना के बाद इलाज के लिए ढाई लाख रुपये तक की चिकित्सा सुविधा और जरूरत पडऩे पर एक लाख रुपये तक के कृत्रिम अंग उपलब्ध कराये जाएंगे। कुल तीन करोड़ परिवारों को दोहरे बीमा का लाभ दिया जाएगा।
तेजाब पीडि़ता को मिलेंगे पांच लाख
अब तेजाब पीडि़ता को अधिकतम पांच लाख रुपये और दुष्कर्म पीडि़ता को तीन लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। नौ अप्रैल 2014 को लागू पीडि़त क्षतिपूर्ति योजना में अब तक दुष्कर्म पीडि़ता को दो लाख और तेजाब पीडि़ता को तीन लाख रुपये दिए जाते थे। प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा ने बताया कि मानसिक संताप के कारण हुई हानि के अनुरूप धाराओं में श्रेणी निर्धारित करते हुए क्षतिपूर्ति की राशि निर्धारित की गयी है। इसके लिए 325 (गंभीर चोट), 326 (हथियारों से खतरनाक चोट), 394 (डकैती के दौरान चोट) आदि धाराओं को निर्धारित करते हुए क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है। इसके लिए एक लाख रुपये की धनराशि निर्धारित की गयी है। नई व्यवस्था के तहत तेजाब के अलावा अगर किसी भी तरह जलने से 25 प्रतिशत से अधिक क्षति पर दो लाख रुपये, दुष्कर्म के अलावा यौन उत्पीडऩ पर 50 हजार रुपये, गर्भ की क्षति पर 50 हजार, गर्भधारण क्षमता की क्षति होने पर डेढ़ लाख, पूर्ण विकलांगता पर दो लाख और आंशिक विकलांगता पर एक लाख रुपये, क्रास बार्डर फायरिंग से पीडि़त महिला को मृत्यु और पूर्ण विकलांगता की स्थिति में दो लाख और आंशिक विकलांगता की स्थिति में एक लाख रुपये दिए जाएंगे।
मुकदमों का कम होगा बोझ
कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश दंड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) (संशोधन) विधेयक, 2016 के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है। इसके लागू होने के बाद मोटरयान से संबंधित प्रदेश के न्यायालयों में हजारों की संख्या में लंबित प्रकरणों का शीघ्रता से निस्तारण हो सकेगा। तात्पर्य यह कि इस व्यवस्था के लागू होने से केवल जुर्माना अदा करने भर से मामले का निस्तारण हो जाएगा और अदालतों में अनावश्यक मुकदमों का बोझ नहीं बढ़ेगा।
पुलिस मिनिस्ट्रियल संवर्ग में बढ़े डीएसपी के 47 पद
पुलिस महकमे के लिपिक, लेखा और गोपनीय सहायक संवर्ग के लिए खुशखबरी है। लंबे समय से सिर्फ नौ पदों वाले इस संवर्ग में राजपत्रित अधिकारी के 47 पद बढ़ाये गये हैं। प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा के मुताबिक पुलिस उपाधीक्षक (एम) लिपिक संवर्ग में छह पदों की जगह 15, पुलिस उपाधीक्षक (एम) लेखा लिपिक संवर्ग में छह और पुलिस उपाधीक्षक (एम) गोपनीय सहायक संवर्ग में तीन की जगह 35 पद स्वीकृत किये गये हैं। इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश मिनिस्ट्रियल संवर्ग को तीन भागों में विभक्त करते हुए शासन ने 10 अक्टूबर 2014 को इसका पुनर्गठन किया था।
आरमोरर शाखा सेवा नियमावली अधिसूचित, बढ़े पद
उत्तर प्रदेश पुलिस बल के आरमोरर शाखा के आरक्षी, मुख्य आरक्षी, उपनिरीक्षक एवं निरीक्षक के पदों पर चयन के संबंध में अब तक कोई सेवा नियमावली नहीं थी लेकिन कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब इस संवर्ग के लिए पदों की संख्या में वृद्धि की गयी है और इसे उत्तर प्रदेश पुलिस आरमोरर शाखा अधीनस्थ सेवा नियमावली, 2016 का नाम दिया गया है। आरक्षी आरमोरर के अस्थायी पद समाप्त कर दिए गये हैं। इस समय आरक्षी आरमोरर के 394, मुख्य आरक्षी आरमोरर के 151, उपनिरीक्षक आरमोरर के 18 और निरीक्षक आरमोरर के दो पद स्वीकृत किये गये हैं। अब कुल 565 पद हो गए हैं जबकि पहले स्थायी रूप से केवल 498 पद थे। आरक्षी आरमोरर के शत-प्रतिशत पदों को उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के जरिए मौलिक रूप से नियुक्ति आरक्षी नागरिक पुलिस, आरक्षी सशस्त्र पुलिस और आरक्षी पीएसी से भरे जोन का प्रावधान किया गया है। मुख्य आरक्षी के शत प्रतिशत पद ज्येष्ठता के आधार पर होंगे। उपनिरीक्षक आरमोरर के पद पर मुख्य आरक्षी की तीन वर्ष सेवा पूरी होने के बाद ज्येष्ठता के आधार पर होगी।
डायल 100 के क्रियान्वयन के लिए एजेंसी चयन की संस्तुति
प्रदेश स्तरीय डायल 100 परियोजना के क्रियान्वयन के लिए तकनीकी एवं आपरेशनल कार्यों के लिए महिन्द्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। शासन में मेसर्स लार्सन टुब्रो और मेसर्स टाटा प्रोजेक्ट्स ने भी निविदा भरे थे लेकिन वित्तीय मूल्यांकन समिति ने महिन्द्रा डिफेंस को योग्य माना। 620 करोड़ रुपये की धनराशि पर इसे अनुबंधित किया गया है।
भर्ती बोर्ड का प्रतिनियुक्ति भत्ता बढ़ा
कैबिनेट ने पुलिस प्रोन्नति एवं भर्ती बोर्ड में जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रतिनियुक्ति भत्ता छह हजार रुपये से बढ़ाकर आठ हजार रुपये कर दिया है। इसकी अनुमन्यता अवधि पांच वर्ष से बढ़ाकर दस वर्ष कर दी गयी है।