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बुलेट ट्रेन चलाना मुश्किल : प्रभु

रेलमंत्री सुरेश प्रभु का कहना है कि बुलेट ट्रेन चलाना अकेले रेलवे के वश में नहीं है। इसकी फाइल वित्त मंत्रालय में अटकी पड़ी है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बुलेट ट्रेन का ड्रीम प्रोजेक्ट हकीकत की पटरी से दूर नजर आ रहा है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2015 11:59 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2015 01:44 AM (IST)
बुलेट ट्रेन चलाना मुश्किल : प्रभु

नई दिल्ली । रेलमंत्री सुरेश प्रभु का कहना है कि बुलेट ट्रेन चलाना अकेले रेलवे के वश में नहीं है। इसकी फाइल वित्त मंत्रालय में अटकी पड़ी है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बुलेट ट्रेन का ड्रीम प्रोजेक्ट हकीकत की पटरी से दूर नजर आ रहा है। रेलमंत्री प्रभु ने एक न्यूज चैनल से चर्चा में कहा कि रेलवे ने कई क्षेत्रों में अच्छी प्रगति की है। दस माह पहले रेलमंत्री बने सुरेश प्रभु ने बजट भाषण में मोदी सरकार के वादे के अनुरूप कई घोषणाएं की थी, लेकिन उनमें से ज्यादातर अभी अमल से दूर हैं, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 आधे से ज्यादा बीत चुका है।

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इसलिए है मुश्किलें

बहुप्रचारित मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन चलाने पर 1 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे।

जापान इंटरनेशनल कार्पोरेशन एजेंसी इसकी फंडिंग एजेंसी है। वह ऊंचे किराए से लागत वसूलेगी।

जो किराया सुझाया गया है वह वर्तमान में राजधानी के एसी फस्ट क्लाट के किराए से 1.5 गुना ज्यादा होगा।

ऐसे में क्या यह व्यावहारिक धरातल पर चल सकेगी

सरकारी हरी झंडी मिली तो भी प्रोजेक्ट कागज से जमीन पर आने में लगने वाले वर्षो में लागत कितनी बढ़ जाएगी?

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हाईस्पीड ट्रेन भी नहीं चल सकी

रेलवे ने बुलेट ट्रेन के पहले कुछ हाई स्पीड ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी। शुरुआत दिल्ली-आगरा रूट से होना थी, जो अब भी अटकी हुई है। जबकि गत वर्ष 3 जुलाई को इसका परीक्षण हो चुका है। 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली इस गतिमान एक्सप्रेस को रेलवे ट्रेक के दोनों ओर दीवार बनाए जाने तक दौड़ाने को तैयार नहीं है। जो असंभव प्रतीत हो रहा है। ऐसे में अन्य रूट पर इसे चलाने की बात तो छोड़ना ही ठीक है।

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लक्ष्य सधे नहीं, पीएमओ खफा

चर्चा में प्रभु ने दावा किया कि उनके कामकाज से पीएमओ खफा नहीं है। जबकि पीएमओ की उम्मीदें वे पूरी नहीं कर सके हैं। गत दिनों पीएमओ ने प्रभु को पत्र भेजकर कहा था कि नीति आयोग द्वारा तय लक्ष्य रेलवे पूरे नहीं कर सका है। हालांकि पिछले साल से ज्यादा काम हुआ है।

रेलवे की मौजूदा ताकत

पटरियों की लंबाई 1.15 लाख किमी , कुल स्टेशन 7,112 , रोजाना 21 हजार ट्रेनें , रोजाना 23 करोड़ यात्री

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