घर खरीदारों को राहत, देरी होने पर बिल्डर करेंगे 11 फीसद ब्याज का भुगतान
वैसे घर खरीदारों के लिए राहत की खबर है जो पजेशन में देरी की वजह से बढ़ते लोन से परेशान हैं क्योंकि प्रोजेक्ट में देरी की वजह से बिल्डरों को 11 फीसद ब्याज का भुगतान करना होगा।
नई दिल्ली। सरकार द्वारा ड्राफ्ट किए गए नियमों के अनुसार, अपार्टमेंट्स व घरों को देने में होने वाली देरी के लिए डेवलपर्स को 11.2 फीसद ब्याज का भुगतान करना होगा। इससे उन घर खरीदनेवालों के लिए राहत मिलने की संभावना है जो परियोजनाओं में होने वाली देरी की वजह से बढ़ते लोन के बोझ तले दबे हैं।
नए कानून के अनुसार, कंप्लीशन सर्टिफिकेट रहित प्रॉजेक्ट रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी में रजिस्टर होंगे जो नया कानून नोटिफाइड होने के तीन महीने के अंदर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थापित होने हैं। बनाए गए नये नियमों में यह भी कहा गया है कि बिल्डरों को प्रोजेक्ट के पूरा होने की तारीख, फ्लैट की साइज और उनमें जो सुविधाएं दिए जाने के वादे किए गए, उन सबकी जानकारी देनी होगी। इन नियमों पर 8 जुलाई तक आम लोगों के सुझावों को मांगा गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने रियल एस्टेट नियमों का मसौदा रियल एस्टेट (डिवेलपमेंट ऐंड रेग्युलेशन) एक्ट, 2016 के 1 मई से लागू होने के महज दो महीने के अंदर ही तैयार कर दिया है। इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के प्राइम लेंडिंग रेट या उससे ज्यादा पर दो फीसद प्वाइंट्स इंट्रेस्ट रेट हर्जाने का प्रस्ताव किया गया है। सामान्यतः एसबीआई का होमलोन एमसीएलआर (मार्जिलन कॉस्ट ऑफ फंडबेस्ड लेंडिंग रेट) या उससे ज्यादा पर 0.20 से 0.80 फीसद प्वाइंट्स का होता है। इसका मतलब यह है कि 9.35 फीसद से 9.95 फीसद के होम लोन के मद्देनजर हर्जाने का दर 11.2 फीसद होगा।
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पजेशन देने, अपार्टमेंट्स की साइज बढ़ाने, कुल अलॉटीज के 70 प्रतिशत से सहमति लिए बिना प्रॉजेक्ट के अडिशनल टावर्स के लेआउट या कंस्ट्रक्शन में बदलाव किए जाने आदि जैसे कानून के किसी तरह के उल्लंघन से रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है। ऐसी परिस्थिति में अथॉरिटी कोई फैसला ले सकता है जिसमें बायर्स असोसिएशन की रजामंदी से किसी भी बाहरी एजेंसी से प्रोजेक्ट पूरा करवाने का निर्णय भी शामिल है।
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