जेटली ने सुनी दिल की बात
वाराणसी। गंगा में इलाहाबाद से हल्दिया तक जल परिवहन की बात उंत्साहजनक है। इससे स्वाभाविक रूप से गंगा की दशा में सुधार होगा। हां, परिवहन शुरू करने से पहले यह चिंतन अवश्य हो जाना चाहिए कि इससे जल गुणवत्ता तो प्रभावित नहीं होगी। जलमार्ग विकसित करने का 4200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बेहतर तो है लेकिन खूबियों और खामियों का अध्ययन होना चाहिए।
वाराणसी। गंगा में इलाहाबाद से हल्दिया तक जल परिवहन की बात उंत्साहजनक है। इससे स्वाभाविक रूप से गंगा की दशा में सुधार होगा। हां, परिवहन शुरू करने से पहले यह चिंतन अवश्य हो जाना चाहिए कि इससे जल गुणवत्ता तो प्रभावित नहीं होगी। जलमार्ग विकसित करने का 4200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बेहतर तो है लेकिन खूबियों और खामियों का अध्ययन होना चाहिए।
बजट से लगभग 2525 किलोमीटर लंबी गंगा की धारा को न सिर्फ नवजीवन की आस जगी है बल्कि इस बजट ने इतिहास भी बना दिया है। पहली बार गंगा के नाम पर 2037 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान हुआ है। वैसे भी नरेंद्र मोदी ने बनारस में चुनाव नामांकन के वक्त कहा था कि 'मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है।' बजट यह भी संकेत दे रहा है कि मां के प्रति मोदी का लगाव केवल जुबान से नहीं बल्कि दिल से है। नमामि गंगा प्रोजेक्ट की घोषणा दिल से निकली वह ध्वनि है जिसमें हैं गंगा की अविरलता और निर्मलता की गूंज। बजट में मां गंगा को शामिल करना सुखद है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मां की धारा के प्रवाह को बल मिलेगा। गोमुख से गंगा सागर तक गंगा की अविरल धारा की कहानी नया रंग दिखाएगी।
मोदी प्रभाव
गंगा के प्रति आम बजट में की गई घोषणाएं मोदी इफेक्ट का परिणाम है। इसी इफेक्ट ने गंगा के प्रति बजटीय प्रावधान का इतिहास बनाया है। धनराशि के इस्तेमाल पर नजर रखने के लिए मजबूत और पारदर्शी रणनीति बनानी होगी ताकि इसका हश्र पिछले प्रोजेक्टों जैसा नहीं होने पाए। साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर उत्तर भारत में गंगा रिवर फ्रंट की सोच सार्थक रंग दिखा सकती है। इसके स्वरूप पर विस्तृत मंथन की जरूरत है क्योंकि साबरमती और गंगा की लंबाई में कोई तालमेल नहीं है।
-प्रो. बीडी त्रिपाठी
सदस्य, राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण
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