'आसिया अंद्राबी पर चले देशद्रोह का मुकदमा'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र 'ऑर्गेनाइजर' के नए अंक के संपादकीय में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में महिलाओं को जेहाद के लिए भड़काने वाले लोगों को राज्य सरकार हिरासत में ले। संपादकीय में जम्मू-कश्मीर के कट्टरवादी महिला संगठन दुख्तराने-मिल्लत की प्रमुख आसिया अंद्राबी को भारत में पाकिस्तानी झंडा फहराने
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र 'ऑर्गेनाइजर' के नए अंक के संपादकीय में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में महिलाओं को जेहाद के लिए भड़काने वाले लोगों को राज्य सरकार हिरासत में ले। संपादकीय में जम्मू-कश्मीर के कट्टरवादी महिला संगठन दुख्तराने-मिल्लत की प्रमुख आसिया अंद्राबी को भारत में पाकिस्तानी झंडा फहराने पर हिरासत में लेने की बात की गई है।
संपादकीय के अनुसार, 'अब समय आ गया है कि जम्मू-कश्मीर की सरकार ऐसे लोगों पर राजद्रोह का मामला चलाए और घाटी में इस तरह की घातक मानसिकता दर्शाने वालों को कड़ा संदेश दे।' संपादकीय में यह भी कहा गया है कि ऐसी जहरीली सोच को जड़ से उखाड़ फेंकना जरूरी है और इसका सबसे अच्छा तरीका होगा जम्मू-कश्मीर में लिंगभेद को दरकिनार करते हुए शिक्षा का प्रसार करना। सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तौर पर भी शिक्षा कश्मीरियत का सही नजरिया लोगों को सिखा सकती है।
संपादकीय के शब्दों में, 'कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी झंडा फैराने वाली कई घटनाएं हुई हैं, लेकिन आसिया अंद्राबी की हरकत आतंकियों के सीमापार से यहां आने से भी कहीं खतरनाक है।'
गौरतलब है कि आसिया अंद्राबी हिजबुल मुजाहिदीन के संस्थापक सदस्य आशिक हुसैन फख़्तू की पत्नी हैं। आशिक हुसैन 1992 से जेल में हैं। उसकी मांग है कि कश्मीर में शरियत लागू की जाए। संपादकीय के अनुसार आसिया का मानना है कि कश्मीर का भारत से अलग होना 'लाजमी' है।
संपादकीय के अनुसार, 'अपने बेटे को भारतीय पासपोर्ट पर क्रिकेट खेलने के लिए मलेशिया भेजने के बाद वह कश्मीरी महिलाओं को भड़का रही हैं।' संपादकीय में लिखा गया है - आसिया के अनुसार, 'महिलाओं में क्षमता है कि वह सीमा के दोनों ओर आतंकी संगठनों से भी ज्यादा जिहादियों को तैयार कर सकती हैं।' आगे लिखा गया है, 'वह घाटी की महिलाओं को कश्मीरी संस्कृति से काट रही हैं जो कि भारतीय सभ्यता का अटूट अंग है।'