Move to Jagran APP

दक्षिण फतह करने को भाजपा ने बिछाई बिसात, जानें कौन आ सकते हैं काम

भाजपा एक बार फिर से दक्षिण में अपना परचम लहराने का जो ख्‍वाब देख रही है वह मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन बिल्‍कुल नहीं है। इसके लिए बिसात भी वह बिछा चुकी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 05:50 PM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 05:00 PM (IST)
दक्षिण फतह करने को भाजपा ने बिछाई बिसात, जानें कौन आ सकते हैं काम

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। भाजपा ने जिस तरह से इस वर्ष की शुरुआत पांच में से चार राज्‍यों में अपनी सरकार बनाकर की है उसी विजयी रथ को अब वह दक्षिण के सूबों तक ले जाना चाहती है। इसके लिए कहीं न कहीं अंदरखाने जबरदस्‍त प्‍लानिंग भी चल रही है। वर्षों पहले कर्नाटक में जीत दर्ज करवाकर भाजपा ने अपने लिए दक्षिण के दरवाजे खोले थे। उस वक्‍त भाजपा के दक्षिण भारत में खिवैया येदियुरप्‍पा बने थे। हालांकि बाद में उन्‍हें भ्रष्टाचार के आरोपों में पद त्यागना पड़ा और वे काफी समय तक पार्टी से बाहर भी रहे। बाद में दोबारा उन्हें पार्टी में शामिल कराया गया। लेकिन इस बीच उनका कद पार्टी में कुछ कम जरूर हुआ है। लिहाजा यहां पर भाजपा अब इस चेहरे पर कम ही दांव खेलेगी।

loksabha election banner

दक्षिण की जीत भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

भाजपा के लिए दक्षिण को फिर से फतह करना काफी बड़ी चुनौती है। वह भी तब जबकि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में दो वर्षों के भीतर ही विधानसभा चुनाव होने हैं। इतना ही नहीं भाजपा  भीअपने कदमों को सिर्फ इन तीन राज्‍यों में ही रोक कर नहीं रखना चाहती है, बल्कि उसकी नजर तमिलनाडु पर भी लगी हुई है। हालांकि वहां के विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन राजनीति की बिसात यहां पर भी भाजपा बिछा चुकी है। 

तमिलनाडु पर निगाह

2014 आम चुनाव में 282 सीटें जीतने वाली बीजेपी का नेतृत्व अब उन इलाकों में अपना असर बढ़ाने की कोशिशों में लगा हुआ है, जहां उसकी राजनीतिक दखल कम है। तमिलनाडु ऐसा ही राज्‍य है जहां उसका प्रभाव बेहद कम भी है और उसके पास यहां चर्चित चेहरा भी नहीं हैं। ऐसे में पार्टी की निगाह उन चेहरों पर है जो कहीं न कहीं दूसरी पार्टी में रहकर विरोधी स्‍वर लगा रहे हैं। भाजपा ने 2019 के चुनावों के मद्देनजर राज्य के लिए अपना लक्ष्य काफी बड़ा रखा है। यहां की 39 संसदीय सीटों में से वह कम से कम 15 सीटें जीतना चाहती है। 

यह भी पढ़ें: आने वाले दो माह ब्रिटेन के लिए है बड़े मुश्किल, आसानी से बन सकता है आतंकी निशाना

बड़ा चेहरा न होना सबसे बड़ी कमी

जयललिता की मौत के बाद तमिलनाडु में जो एक वैक्‍यूम बना है उसको भरने के लिए भाजपा यहां पर अपनी राजनीति के मोहरे समय रहते ही बिछा देना चाहती है। लेकिन उसके लिए यहां पर मुश्किल यह है कि उसके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। जयललिता के बाद राज्‍य की राजनीति में जिस तरह से भूचाल आया है भविष्‍य में उसका फायदा उठाने की पूरी कोशिश भाजपा कर रही है। एआईएडीएमके द्वारा लंबे समय तक सत्‍ता पर काबिज बना रहना कुछ मुश्किल ही दिखाई दे रहा है। इसकी वजह यह है कि पार्टी में छिड़ी अंदरुणी लड़ाई से पार्टी की साख को बट्टा लगा है। लिहाजा आने वाले विधानसभा चुनाव में उसके लिए काफी मुश्किल साबित हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें: एनएसजी पर भारत का दांव, कुडनकुलम के बदले में चीन को मनाए रूस

पन्‍नीसेलवम आ सकते हैं काम

भाजपा के लिए तमिलनाडु में भले ही कोई चेहरा न हो लेकिन जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके में चली लड़ाई और इससे खफा पन्‍नीरसेलवम उसके लिए जरूर कुछ काम आ सकते हैं। पन्‍नीरसेलवम को लेकर पार्टी में चली गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। मुमकिन है कि आने वाले समय में वह खुद भाजपा के करीबी हो जाएं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि मौजूदा समय में पन्‍नीरसेलवम का एआईएडीएमके में पकड़ बनाना काफी मुश्किल है, लिहाजा भाजपा के लिए वह फायदे का सौदा हो सकते हैं। लेकिन यदि ऐसा होता भी है तो भी भाजपा उन्‍हें अपना चेहरा बनाएगी यह काफी मुश्किल ही लगता है। वहीं पार्टी को कहीं न कहीं ऐसा भी लगता है कि चुनाव के आसपास अधिकतर एआईएडीएमके नेता पन्नीरसेल्वम का हाथ थामे दिखाई दे सकते हैं।

यह भी पढ़ें: जानें आखिर कैसे एक गलती की बदौलत चली गई सात करोड़ लोगों की जान

थलाइवा का साथ

बड़ा चेहरा न होने की सूरत में भाजपा के लिए यहां के सूबों पर जीत दर्ज कराना भाजपा के लिए कुछ मुश्किल जरूर है। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत के फिल्‍मी सुपरस्‍टार थलाइवा या रजनीकांत पर भी पार्टी की निगाह टिक सकती है। हालांकि भाजपा ने अभी अपने पत्‍ते नहीं खोले हैं और न ही थलाइवा ने ही किसी तरह का कोई बयान इस तरह से दिया है। अमित शाह ने भी इस बारे में एक चैनल से बात करते हुए कहा था कि यह वक्‍त आने पर ही पता चलेगा। रजनीकांत पर पूछे गए एक सवाल के जवाब उनका कहना था कि यह वही तय करेंगे। यहां पर एक बात यह भी सोचने वाली है कि राजनीति में एंट्री करने का एलान करने वाले रजनीकांत की अपनी कोई पार्टी नहीं है। वहीं उन्‍होंने भी इसका कोई एलान अभी तक नहीं किया है कि वह अपनी अलग पार्टी बनाएंगे या फिर किसी पार्टी में शामिल होंगे। यहां पर यह भी कहना सही होगा कि वह जितना बड़ा चेहरा हैं उस हिसाब से वह किसी के लिए भी फायदे का सौदा हो सकते हैं।

मैनचेस्‍टर हमला: आने वाले दो माह ब्रिटेन के लिए है बड़े मुश्किल, जानें कैसे

यह भी पढ़ें: चीन के चलते एक बार फिर खटाई में पड़ सकती है भारत की एनएसजी में दावेदारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.