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सांप्रदायिक हिंसा बिल पर बढ़ी रार

शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक पेश करने की सरकार की तैयारियों पर भाजपा भड़क गई है। सोमवार को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के विरोध के बाद मंगलवार को भाजपा ने विधेयक को सांप्रदायिक करार देते हुए संसद में इसका विरोध करने का एलान कर दिया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरु

By Edited By: Published: Tue, 03 Dec 2013 10:19 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2013 11:21 PM (IST)
सांप्रदायिक हिंसा बिल पर बढ़ी रार

नई दिल्ली [जाब्यू]। शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक पेश करने की सरकार की तैयारियों पर भाजपा भड़क गई है। सोमवार को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के विरोध के बाद मंगलवार को भाजपा ने विधेयक को सांप्रदायिक करार देते हुए संसद में इसका विरोध करने का एलान कर दिया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इसे देश के संघीय ढांचे के खिलाफ करार दिया है। तमाम विरोधों के बीच मंगलवार को गृह सचिव ने विधेयक पर रायशुमारी के लिए सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और विधि सचिवों की बैठक ली।

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संसद के अंतिम कामकाजी सत्र में विधेयक लाने को भाजपा ने कांग्रेस की वोट बैंक की सांप्रदायिक राजनीति करार दिया है। जेटली ने केंद्र पर ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि संबंधित पक्षों के साथ जरूरी विचार-विमर्श करने की जरूरत भी नहीं समझी गई। दो साल पहले राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों ने एक स्वर में इस विधेयक का विरोध किया था। जेटली ने याद दिलाया, उस समय सभी मुख्यमंत्रियों ने साफ कर दिया था कि यह विधेयक देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने विधेयक को सांप्रदायिक बताते हुए कहा कि पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी। उनके अनुसार विधेयक दो समुदायों के बीच भेदभाव की मूल भावना पर टिका है। इसमें एक समुदाय को पहले ही दोषी करार देने की कोशिश की गई है। गौरतलब है कि जयललिता इस विधेयक का विरोध करते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख चुकी हैं।

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इस बीच, संसद सत्र शुरू होने के दो दिन पहले गृह मंत्रालय ने राज्यों के मुख्य सचिवों व विधि सचिवों के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की। हालांकि, गृह मंत्रालय के अधिकारी इस बैठक के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार अधिकांश राज्यों के मुख्य सचिवों व विधि सचिवों ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस विधेयक को लाने पर एतराज जताया है। बिल का सख्त विरोध करने वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश और ओडिशा हैं। उनका कहना था कि यह विधेयक पहले से ही बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को चरम पर पहुंचा सकता है, लेकिन इस विधेयक पर आगे बढ़ने के राजनीतिक फैसले का पालन करते हुए गृह मंत्रालय ने संबंधित मंत्रालयों की राय मांगने का फैसला किया है। इन मंत्रालयों की राय मिलने के बाद ही विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा।

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'लगता है चुनावों के पहले देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को ध्यान में रखकर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को विधेयक की प्रति के साथ पत्र भेजा है।'

-अरुण जेटली, राज्यसभा में नेता विपक्ष

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