त्रिपुरा में लेफ्ट शासन खत्म कराने की भाजपा ने बनाई रणनीति
त्रिपुरा में विधानसभा की कुल 60 सीट हैं, जिनमें से एक-तिहाई सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। भाजपा का कहना है कि अभी तक गठबंधन के बारे में विचार नहीं किया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में जिस रफ्तार से आगे बढ़ रही है, उसे देख लगता है कि आने वाले सालों में लगभग हर राज्य में भाजपा की सरकार होगी। पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की। अब हाल ही में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी सभी एग्जिट पोल भाजपा को बहुमत के करीब दिखा रहे हैं। भाजपा का अगल लक्ष्य अब त्रिपुरा है, जिसे फतेह करने की तैयारियों में अमित शाह जुट गए हैं।
त्रिपुरा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें लिए भाजपा ने कमर कस ली है। अमित शाह ने वाम को चुनौती देने के लिए रणनीति तैयार की है। रणनीति के तहत शाह 6 मई के राज्य दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं की एक रैली को संबोधित करेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। त्रिपुरा मार्क्सवादियों का गढ़ कहा जाता है, लेकिन भाजपा ने इसमें सेंध लगाना शुरू कर दिया है।
भाजपा का जनाधार त्रिपुरा में लगातार बढ़ रहा है। इस बात का अंदाजा पार्टी की सदस्यता से लगाया जा सकता है। साल 2014 में यह पन्द्रह हजार से बढ़कर इस साल दो लाख से ज्यादा हो गई है। त्रिपुरा भाजपा के प्रवक्ता मृणाल कांति देब ने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि दो महीने में भाजपा शासित राज्यों के चार मुख्यमंत्री राज्य का दौरा करेंगे। राज्य के दौरा करने वाले मुख्यमंत्रियों में झारखंड के रघुवर दास, असम के सर्बानंद सोनोवाल, अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ शामिल हैं।
बता दें कि भाजपा की रणनीति है कि त्रिपुरा चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों को भी शामिल किया जाएगा और उनकी जिम्मेदारी राज्य के लोगों को केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी देना और राज्य सरकार द्वारा उनके क्रियान्वयन में खामियां बताना होगा।
त्रिपुरा में पिछले 24 सालों से लेफ्ट फ्रंट का शासन रहा है। ऐसे में भाजपा को यहां बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि भाजपा राज्य संगठन में सुधार करने की भी कोशिश में है। त्रिपुरा में सत्ता विरोधी लहर और अपनी स्वीकार्यता बढ़ती हुए देखकर भाजपा इसे एक अच्छा मौका मान रही है। हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनावों में भाजपा कई स्थानों पर दूसरे स्थान पर रही थी।
त्रिपुरा में विधानसभा की कुल 60 सीट हैं, जिनमें से एक-तिहाई सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। भाजपा का कहना है कि उन्होंने अभी तक किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने के बारे में विचार नहीं किया है। फिलहाल भाजपा विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति के तहत योजना बना रही है।
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