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इशरत मामले में खुली चिदंबरम की पोल, रिजिजू ने इसे बताया राष्ट्रविरोधी

इशरत जहां के मामले में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम की पोल खुल गई है। ताजा दस्तावेजों से साफ हो गया है कि इशरत जहां को आतंकी बताने वाले पहले हलफनामे को बतौर गृहमंत्री खुद पी. चिदंबरम ने हरी झंडी दी थी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 18 Apr 2016 08:55 PM (IST)Updated: Tue, 19 Apr 2016 11:44 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इशरत जहां के मामले में पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम की पोल खुल गई है। ताजा दस्तावेजों से साफ हो गया है कि इशरत जहां को आतंकी बताने वाले पहले हलफनामे को बतौर गृहमंत्री खुद पी. चिदंबरम ने हरी झंडी दी थी और एक महीने बाद ही दूसरे हलफनामे में उसे निर्दोष बताया था। जबकि सार्वजनिक रूप से चिदंबरम पहले हलफनामे के पीछे निचले स्तर के अधिकारियों का हाथ बताते रहे हैं। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजु ने चिदंबरम के इस काम को राष्ट्रविरोधी करार दिया है। हैरानी की बात यह है कि इशरत जहां से संबंधित फाइल के 28 पेज गायब हैं।

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गृह मंत्रालय के पास लश्कर आतंकी इशरत जहां से संबंधित फाइल के अनुसार इशरत जहां को आतंकी बताने व लश्कर के आत्मघाती दस्ते का सदस्य होने का दावा करने वाले हलफनामे को खुद चिदंबरम ने 29 जुलाई 2009 को हरी झंडी दी थी। लेकिन एक महीने के भीतर उन्होंने नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दे दिया। दूसरे हलफनामे में भी उन्होंने व्यक्तिगत रूप से बदलाव किए थे। तत्कालीन गृहसचिव जीके पिल्लई पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इशरत को क्लीनचिट देने वाले दूसरे हलफनामे से उनका कोई लेना-देना नहीं था और इसका फैसला राजनीतिक स्तर यानी मंत्री के स्तर पर लिया गया था। लेकिन फाइल से यह साफ नहीं है कि दूसरे हलफनामे की जरूरत क्यों महसूस की गई।

28 पन्नों में छिपा है राज

माना जा रहा है कि इसका राज इशरत की फाइल के उन 28 पन्नों में छुपा है, जो गायब हैं। बताया जाता है कि इन पन्नों में हलफनामे में बदलाव से पहले और बदलाव के बाद वाले अंश का सरकारी ब्योरा था। गृह मंत्रालय के अतिरिक्त इन पन्नों के गायब होने की जांच कर रहे हैं।

इशरत जहां पर नए खुलासे के बाद सरकार ने चिदंबरम समेत कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर हमला बोल दिया है। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री के रूप में अपने कर्तव्य का ठीक से पालन नहीं किया। आखिर कोई गृह मंत्री कैसे किसी आतंकी को निर्दोष बताने की कोशिश कर सकता है। उनके इस कृत्य ने सुरक्षा एजेंसियों का मनोबल गिराने का काम किया। लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि एक गृह मंत्री के रूप में नीतिगत फैसले के लिए चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती है। लेकिन उन्हें इसका जवाब तो देना ही होगा कि एक आतंकी को कैसे उन्होंने निर्दोष बता दिया।

चिदंबरम ने टिप्पणी से किया इन्कार

वहीं, चिदंबरम ने आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे जब तक कि वह फाइलें और उनकी नोटिंग न देख लें। उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि दूसरा हलफनामा गृह सचिव और अटर्नी जनरल की सलाह से ही दायर किया गया था। उन्होंने कहा कि आइबी ने खुफिया जानकारियां भी दी थीं। फिर भी एक व्यक्ति आतंकी है या नहीं कानूनी अदालत में सुबूतों के आधार पर तय होना चाहिए। मुख्य मुद्दा तो यह है कि अगर कोई संदिग्ध आतंकी भी हो तो क्या उसका फर्जी एनकाउंटर करना उचित है। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता अहमद पटेल ने कहा कि भाजपा मुख्य मुद्दे को उलझा रही है।

उल्लेखनीय है कि 19 वर्षीय इशरत जहां का 15 जून, 2004 को गुजरात पुलिस की अपराध शाखा ने आइबी के इनपुट पर अहमदाबाद में तीन अन्य आदमियों के साथ इशरत को गोली मार दी थी। गुजरात पुलिस का दावा है कि इन चारों की पहचान बतौर आतंकी हुई है। यह नरेंद्र मोदी की हत्या के लिए आए थे। इशरत के साथ मारे जाने वालों में प्राणेश पिल्लई (उर्फ जावेद गुलाम शेख), अमजद अली राणा और जीशान जोहर शामिल हैं।

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