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तेजी से सार्क की जगह लेने लगा है बिम्सेटक

बिम्सटेक की स्थापना 20 साल पहले हुई थी जबकि सासेक का गठन 16 वर्ष पहले की गई थी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 12 Aug 2017 02:52 AM (IST)Updated: Sat, 12 Aug 2017 02:52 AM (IST)
तेजी से सार्क की जगह लेने लगा है बिम्सेटक
तेजी से सार्क की जगह लेने लगा है बिम्सेटक

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पाकिस्तान जिस तरह से आतंक की राह से अलग होने को तैयार नहीं है उसे देखते हुए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का भविष्य पूरी तरह से ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। भारत ने सार्क की जगह बे ऑफ बंगाल इनिसिएटिव फॉर मल्टी सेक्टर टेक्नीकल एंड इकॉनोमिक कॉपरेशन (बिम्सटेक) को बढ़ावा देने के संकेत तो पहले ही दे दिए थे लेकिन काठमांडू में इसके सदस्य देश नेपाल, भारत, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाइलैंड, म्यंमार के विदेश मंत्रियों की बैठक में यह तय हो गया कि अब दक्षिण एशिया में बिम्सटेक का ही भविष्य है। इन देशों की शिखर बैठक अगले महीने नेपाल में होगी जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे।

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शुक्रवार को काठमांडू में बिम्सेटक विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी मंशा साफ कर दी। स्वराज ने कहा कि, भारत की नेबरहुड फ‌र्स्ट (सबसे पहले पड़ोसी) और लुक ईस्ट नीति के तहत हमारी विदेश नीति की प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए बिम्सटेक एक नेचुरल पसंद है। उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि भारत बिम्सटेक देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने व ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए अगुवाई करेगा। भारत की अगुवाई में अगली शिखर बैठक में इन देशों के बीच सहयोग के नए रोडमैप का निर्धारण होगा जिससे क्षेत्रीय सहयोग के नए युग की शुरुआत होगी।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सार्क के बगैर भी भारत दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए कई स्तरों पर काम कर रहा है। बिम्सेटक निश्चित तौर पर अब इस क्षेत्र का सबसे अहम संगठन होगा लेकिन हाल ही में भारत ने सार्क के छह अन्य देशों नेपाल, भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, म्यंमार और श्रीलंका के बीच बड़े आर्थिक सहयोग का एक नया रोडमैप तैयार किया है।

दक्षिण एशिया उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (सासेक) के तत्वाधान में इन सभी देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक हुई थी जिसमें भारत की अगुवाई में वर्ष 2025 तक सभी देशों के सकल घरेलू उत्पाद में 70 अरब डॉलर की वृद्धि करने और दो करोड़ लोगों को रोजगार दिलाने की सहमति बनी। इस तरह का सहयोग तीन दशकों की कोशिशों के बावजूद सार्क देशों के बीच नहीं बन सका।

बिम्सटेक की स्थापना 20 साल पहले हुई थी जबकि सासेक का गठन 16 वर्ष पहले की गई थी। लेकिन इनके विकास में पिछले एक वर्ष के दौरान जो कोशिशें की गई हैं वह पहले कभी नहीं की गई। इसकी सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान की तरफ से आतंकी गतिविधियों को मदद करना है। बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी बयान में भी कहा गया है कि सभी सदस्य देश आतंक के खिलाफ सहयोग बढ़ाने के लिए साझा कानून बनाएंगे। इसका उद्देश्य होगा कि आतंकी गतिविधियों की जांच में तेजी से काम हो। यह कहना मुश्किल है कि पाकिस्तान के रहते यह समझौता हो पाता या नहीं। बिम्सेटक देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर भी बात हो रही है और भारत इसे सबसे ज्यादा बढ़ावा दे रहा है।

तीन दशक बाद भी सार्क के तहत इन क्षेत्रों में कोई प्रगति नहीं हुई है। स्वराज ने घोषणा की है कि भारत इस वर्ष ''ब्रांड बिम्सटेक'' को स्थापित करने के लिए कारोबार व पर्यटन की प्रदर्शनी आयोजित करेगा, सदस्य देशों की स्टार्ट अप कंपनियों के लिए अलग से एक सेमिनार का आयोजन करेगा, नई कंपनियों में निवेश के लिए एक अलग आयोजित करेगा और युवाओं के बीच मेलजोल बढ़ाने के लिए बौद्ध हेरिटेज फेस्टिवल का भी आयोजन करेगा।

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