सहारनपुर: आज ईद के मौके पर होगा प्रशासन का कड़ा इम्तिहान
एक मामूली जमीन विवाद को लेकर भड़की दंगे की चिंगारी के बाद सहारनपुर के हालात मामूल की ओर लौट रहे हैं, फिलहाल ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस मुद्दे पर आज सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
सहारनपुर [संजीव जैन]। एक मामूली जमीन विवाद को लेकर भड़की दंगे की चिंगारी के बाद सहारनपुर के हालात मामूल की ओर लौट रहे हैं, फिलहाल ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस मुद्दे पर आज सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस बैठक में पुलिस के आला अधिकारियों समेत राज्य के गृहमंत्री भी शामिल थे।
सोमवार को शहर के अलग-अलग हिस्सों में कर्फ्यू में ढील के दौरान भीड़ जरुर उमड़ी, लेकिन दोनों समुदायों में विश्वास की खाई नजर आई। माना जा रहा है कि मंगलवार को ईद के चलते दिन का कर्फ्यू हटाया जा सकता है। अधिकारी दबी जुबान से मान रहे हैं कि अभी हालात ऐसे नहीं हैं, लेकिन ईद पर कर्फ्यू तो हटाना ही पड़ेगा। पूरा पुलिस महकमा इस मंथन में जुटा रहा कि मंगलवार को कोई अप्रिय वारदात न हो।
भाजपा सांसद का आक्रामक रुख भी प्रशासन के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि मातम के माहौल में कोई त्योहार कैसे मनाया जा सकता है। हिंदू संगठनों के पदाधिकारी आजम खान से लेकर ,कांग्रेस नेता इमरान मसूद पर दंगा भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। इमरान भी इसका पलटवार कर रहें हैं। इससे प्रशासन की मुसीबतें कम होने के बजाय बढ़ रही हैं। सिख समुदाय के देशव्यापी प्रदर्शन और सहारनपुर कूच की चेतावनी को भी प्रशासन गंभीरता से ले रहा है।
सहारनपुर के इतिहास में यह पहला मौका है जब ईद का चांद कर्फ्यू में दिखा, इसके बाद भी न तो लोग मनमाफिक खरीदारी करने बाहर निकल पाए और न ही करोड़ों रुपए का सामान अपनी दुकानों में लेकर बैठे व्यापारी दुकानों का ताला खोल पाए। शनिवार को हिंसा के कुछ देर बाद ही शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया, इसके बाद हालात धीरे-धीरे काबू में आए, लेकिन आगजनी और लूटपाट की घटनाओं का सिलसिला नहीं थमा।
सवाल है कि इतनी फोर्स की मौजूदगी में भी जब वारदातें नहीं थम रही हैं तो कर्फ्यू में पूरे दिन ढील के दौरान अराजक तत्व उसका फायदा उठा सकते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए फोर्स की तैनाती कर्फ्यू जैसी ही रखी जाएगी, बस लोगों को आने-जाने दिया जाएगा। लेकिन सवाल है कि अगर कहीं विवाद की स्थिति बनी तो भीड़ और फोर्स में भी टकराव की स्थिति बन सकती है। ईद के दिन कुछ अप्रिय हुआ तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा, ये बात अधिकारी भी मानते हैं।
लेकिन अगर ईद के दौरान पूरा दिन ढील न दी गई तो भी लोगों में गुस्सा बढ़ेगा। इसका सियासी लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे। शांति समिति में भाजपा पहले ही कर्फ्यू में ढील का विरोध कर चुकी है। भाजपा का आने वाला जांच दल भी प्रशासन की दिक्कत बढ़ाएगा। एक तरफ शासन का दबाव और दूसरी तरफ जमीन की सच्चाई दोनों में तालमेल बैठाना प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती है।