वैज्ञानिकों की भर्ती का सबसे बड़ा घोटाला, सीबीआइ कर रही है जांच
प्रतिष्ठित शोध संस्था 'नेशनल सेंटर फॉर अंटार्टिक एंड ओशन रिसर्च' (NCAOR) में भर्ती का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। वर्ष 2002 और 2013 के बीच कथित तौर पर की गई अनियमित नियुक्तियों की जांच अब सीबीआई कर रही है। इस मामले में सीबीआई ने NCAOR के संस्थापक निदेशक पीसी
नई दिल्ली। प्रतिष्ठित शोध संस्था 'नेशनल सेंटर फॉर अंटार्टिक एंड ओशन रिसर्च' (NCAOR) में भर्ती का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। वर्ष 2002 और 2013 के बीच कथित तौर पर की गई अनियमित नियुक्तियों की जांच अब सीबीआइ कर रही है। इस मामले में सीबीआइ ने NCAOR के संस्थापक निदेशक पीसी पांडेय को आरोपी बनाया है।
पांडेय इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में भी काम कर चुके हैं और नासा के जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी में किए गए काम के लिए उनकी पहचान बनी थी। उन्हें विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड भी मिल चुका है। भू विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले NCAOR में वर्ष 2005 तक पीसी पांडेय मुखिया थे।
भर्ती घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता को वैज्ञानिक समुदाय के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। ध्रुवीय विज्ञान, समुद्र विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अध्ययन करने वाला यह एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान है। इस मामले में सीबीआइ ने NCAOR के कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
सूत्रों ने बताया कि गोवा स्थित NCAOR में वैज्ञानिकों की भर्ती में कुछ अयोग्य लोगों को नौकरी दिए जाने के मामले की जांच की जा रही है। हालांकि, सीबीआइ को इन दस सालों में बिना काबिलियत के वैज्ञानिक बनने वाले अयोग्य लोगों की वास्तविक संख्या के बारे में जानकारी नहीं है।
एजेंसी को संदेह है कि अयोग्य वैज्ञानिकों के नौकरी पाने की संख्या काफी बड़ी हो सकती है और वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर बड़ी रकम दी गई होगी।
पांडेय के अलावा सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉक्टर एम सुधाकर, सेंटर में तत्कालीन एडमिनिस्ट्रेशन अधिकारी नारायण सतेरी दाल्वी, वैज्ञानिक डॉक्टर धनंज्जय कुमार पांडेय, डॉक्टर अनिल कुमार, डॉक्टर एस राजन, अन्य वरिष्ठ अधिकारी और कुछ अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
आरोप है कि अंटार्कटिक और अन्य क्षेत्रों में विभिन्न श्रेणियों में असाइनमेंट के लिए वैज्ञानिकों के चयन में बड़ी अनियमितताएं थीं। एंजेंसी के अधिकारियों का मानना है कि फर्जी भर्तियों के कारण संस्थान का काम प्रभावित हो सकता है।