Move to Jagran APP

महागठबंधन में बड़ी हो रही गांठें, सहज नहीं हो पा रहा है माहौल

बिहार में महागठबंधन के अंदर फिर से सुलह की तस्वीर तो पेश की जा रही है लेकिन गांठ को कम करने की कोशिश नहीं दिख रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 06:00 AM (IST)
महागठबंधन में बड़ी हो रही गांठें, सहज नहीं हो पा रहा है माहौल

आशुतोष झा, नई दिल्ली। बिहार में महागठबंधन के अंदर फिर से सुलह की तस्वीर तो पेश की जा रही है लेकिन गांठ को कम करने की कोशिश नहीं दिख रही है। बल्कि अपने अपने खेमे को मजबूत करने की कवायद तेज होने लगी है। खासकर बसपा सुप्रीमो मायावती को बिहार से राज्यसभा में भेजने के लालू प्रसाद के प्रस्ताव को इसी रूप में देखा जा रहा है।

loksabha election banner

 राजनीति में संदेश अहम होता है और लालू प्रसाद इसके माहिर माने जाते हैं। दो दिन पहले जिस तरह से मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दिया था उसके बाद का घटनाक्रम केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार के लिहाज से भी रोचक है। विपक्ष में कांग्रेस समेत दूसरे दल जहां मायावती के ऐलान से अचरज में थे वहीं राजद सुप्रीमो ने आगे बढ़कर ऐलान कर दिया था कि उनकी पार्टी बिहार से मायावती को राज्यसभा में भेजने के लिए तैयार है। इसके पीछे की राजनीति स्पष्ट है और माना जा रहा है कि जदयू के साथ तनातनी के बीच राजद में अपना वोटवर्ग बढ़ाने की कोशिश शुरू हो गई है।

 दरअसल जदयू, राजद और कांग्रेस के भीतर यह आशंका बरकरार है कि महागठबंधन की जमीन भुरभुरी हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार फिलहाल - 'पहले आप पहले आप' वाली स्थिति है। लिहाजा इतनी सुलह हो गई है कि अपनी ओर से कोई दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं करेगा। ऐसे में अपनी नींव मजबूत करना ज्यादा समझदारी का काम है। यह किसी से छिपा नहीं है कि जिस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों और महादलितों में अपनी पैठ बनाई उससे सबसे बड़ा राजनीतिक नुकसान किसे हुआ। इससे इनकार करना मुश्किल होगा कि लालू मायावती के जरिए अपनी खोई जमीन वापस पाना चाहते हैं।

 ध्यान रहे बिहार का कुछ हिस्सा है जो मायावती और बसपा के प्रभाव में रहता है। इस्तीफे के बाद मायावती का अगला कदम क्या होगा यह जरूर भविष्य के गर्भ में है। लेकिन लालू ने प्रस्ताव देकर एक राजनीतिक संदेश दे दिया है। यही संदेश देने की कोशिश उन्होंने तब भी की थी जब संप्रग की राष्ट्रपति उम्मीदवार मीरा कुमार को बिहार की बेटी के रूप में संबोधित कर नीतीश को असहज करने का प्रयास हुआ था। इन प्रयासों ने महागठबंधन की गांठें बढ़ाई ही हैं। पर जब नाव डवांडोल हो तो खुद की हिफाजत करना ही समझदारी मानी जाती है।

यह भी पढें : महागठबंधन में फिर छिड़ा महाभारत, कांग्रेस-राजद ने जदयू के खिलाफ खोला मोर्चा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.