गांधी जयंती विशेष: बापू ने यहां गुजारे थे 173 दिन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादों की कहानी कहती है किंग्सवे कैंप स्थित गांधी आश्रम की दीवार की हर ईट। वर्ष 1
बाहरी दिल्ली, [शिप्रा सुमन]। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादों की कहानी कहती है किंग्सवे कैंप स्थित गांधी आश्रम की दीवार की हर ईट। वर्ष 1932 में पत्नी कस्तूरबा गांधी और छोटे बेटे देवदास गांधी के साथ बापू ने यहां 173 दिन गुजारे थे। इस स्थान को 'कस्तूरबा निवास' या 'कस्तूरबा कुटीर' कहा गया है, 'पूज्य बा' के नाम से प्रसिद्ध कस्तूरबा गांधी यहां बापू से अधिक दिनों तक रही थीं।
हरिजन सेवा संघ द्वारा निर्मित इस आश्रम की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी। इसका उद्घाटन तत्कालीन उपराष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने किया था। संस्था के कोषाध्यक्ष फूलचंद शर्मा ने बताया कि आश्रम का निर्माण बापू की याद में किया गया है। इसके माध्यम से बापू के विचारों का प्रचार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य हरिजनों का उत्थान भी था।
विद्यालय भी है
यहां हरिजन बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय की भी व्यवस्था है, जिसमें उन्हें पांचवीं तक की शिक्षा दी जाती है। छात्राओं को आगे की शिक्षा देने के लिए ओखला स्थित विद्यालय में भेजा जाता है। इसके अलावा यहां सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए योग और प्राकृतिक चिकित्सा की शिक्षा भी उपलब्ध है। अक्टूबर और नवंबर में यहां खादी की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है।
प्रार्थना मंडप और धर्म स्तंभ हैं यादगार
संघ की गतिविधियों के तहत यहां सर्वधर्म प्रार्थना सभा मंडप का निर्माण करवाया गया है। इसकी आधारशिला महात्मा गांधी ने स्वयं अपने हाथों से रखी थी। इसके अलावा यहां विशाल गुंबद वाले धर्म स्तंभ को भी स्थापित किया गया है। इसमें महात्मा गांधी के सुविचारों के साथ भगवान बुद्ध के नीति वचन और गीता के सार का उल्लेख किया गया है। यह स्तंभ यहां आने वाले दर्शकों को आकर्षित करता है।
स्तंभ के ठीक सामने बापू की प्रतिमा स्थापित है, जिसके नीचे उनके विचारों को उकेरा गया है जिसमें उन्होंने निर्धन, बेसहारा और असहाय की मदद किए जाने को लेकर लोगों का मार्गदर्शन किया है।
बापू और बा की चीजें सहेजी गई हैं
'कस्तूरबा कुटीर' में पूज्य बा की कई वस्तुओं को सहेज कर रखा गया है। इनमें उनकी चादर, गीता की दो पुस्तकें, एक लालटेन, बैग और अन्य चीजें शामिल हैं। इसके अलावा कमरे में उनके और बापू की कई तस्वीरें भी मौजूद हैं। कुटीर में ऊपर वाले कमरे में जो गांधी जी का कमरा हुआ करता था, उसमें उनकी कई चीजें रखी हुई हैं। इन चीजों में तख्त पर रखी उनकी कलम और किताब, गद्दे पर रखे हुए तकिए, बर्तन, कोने में खड़ी उनकी छड़ी और चप्पलों के अलावा पास ही रखा उनका चरखा, जिससे वह अक्सर सूत कातते थे प्रमुख हैं। लालटेन और तख्त पर रखे हुए तीन बंदरों की मूर्तियों को देखने के बाद लोगों को आज भी उनके होने का एहसास होता है।