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गलत था देश में इमरजेंसी लगाने का फैसलाःचिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में इमरजेंसी (आपातकाल) लगाने के फैसले को एक गलती करार दिया है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 07:31 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 09:37 PM (IST)
गलत था देश में इमरजेंसी लगाने का फैसलाःचिदंबरम

नई दिल्ली।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में इमरजेंसी (आपातकाल) लगाने के फैसले को एक गलती करार दिया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सलमान रुश्दी की किताब 'सेटेनिक वर्सेज' पर प्रतिबंध लगाने का तत्कालीन राजीव गांधी सरकार का निर्णय भी पूरी तरह से अनुचित था।

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पूर्व वित्त मंत्री शनिवार को यहां एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान देश में बढ़ती असहिष्णुता पर अपने विचार रख रहे थे। चिदंबरम, राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में गृह राज्य मंत्री (1986-89) थे। अक्टूबर 1988 में 'सेटेनिक वर्सेज' पर प्रतिबंध लगाया गया था। चिदंबरम का यह बयान कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। जाहिर है, ऐसे वक्त जब मोदी सरकार पर असहिष्णुता को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए विरोधी दल राजग सरकार पर लगातार हमलावर हैं, इस स्थिति में चिदंबरम का यह बयान कांग्रेस को बैकफुट पर ला सकता है।

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आपातकाल संबंधी सवाल पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, 'इंदिरा गांधी ने 1980 में खुद यह स्वीकार किया था कि इमरजेंसी लगाकर उन्होंने गलत की है, अब अगर वह फिर से सत्ता में आईं तो आपातकाल कभी नहीं लगाएंगी। जनता ने उन पर विश्वास किया और इस प्रकार सत्ता में उनकी फिर वापसी हुई।'रुश्दी के उपन्यास पर प्रतिबंध के फैसले के बारे में चिदंबरम का कहना था, 'मुझे यह स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि सलमान रुश्दी की किताब पर प्रतिबंध एक गलती थी। यदि आप 20 साल पहले मुझसे सवाल पूछते तो भी मेरा जवाब यही होता।'असहिष्णुता के मुद्दे पर वह बोले, 'मेरे लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। हमने पहले भी असहिष्णुता देखी है। हाल के दिनों में असहिष्णुता बढ़ी है।हालांकि हमने हमेशा इसे नाकाम किया है।'

उनके अनुसार, जो भी व्यक्ति स्वाधीनता और लोकतंत्र में विश्वास करता है, उसे देश में बढ़ रही असहिष्णुता के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए। असमानता को बढ़ाने वाले प्रत्येक विचार के पूर्णतया खत्म होने तक आप आधुनिक उदारवादी समाज का निर्माण नहीं कर सकते। चिदंबरम ने कहा, 'आज के समय खाप पंचायतें अधिक प्रभावी व खुल्लम-खुल्ला 'कंगारू जस्टिस' (न्याय के मानकों की परवाह किए बिना निर्णय देना) दे रही हैं। बहुत से प्रतिबंध लग रहे हैं। जींस पहनने से लेकर लोगों के खाने-पीने, आने-जाने के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे है। एनजीओ पर प्रतिबंध थोपे जा रहे हैं।'

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