FSSAI ने खाने-पीने के सामान को अखबार पर बेचने पर लगाई पाबंदी
खाद्य संरक्षा प्राधिकरण ने देश भर में खाने-पीने के सामान को अखबार पर बेचने पर पाबंदी लगा दी है।
नई दिल्ली[मुकेश केजरीवाल]। इस अखबार में छपे शब्दों को आप जितना भी पवित्र समझते हों, लेकिन अब इसके पन्नों का इस्तेमाल खाने-पीने की चीजों के साथ कतई न करें। यह आपकी सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है। खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने खाने-पीने के सामान को पैक करने, लपेटने या परोसने के लिए अखबार अथवा किसी भी रीसाइकिल कागज और कार्ड बोर्ड के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
'अनजाने में शरीर में जहर की दस्तक '
प्राधिकरण ने राज्यों को कहा है कि अपने देश में यह चलन बहुत ज्यादा है, जिसकी वजह से लोगों के शरीर में अनजाने में ही जहर प्रवेश कर रहा है और इस लिहाज से वे तुरंत हर मुमकिन कदम उठाएं। उन्हें व्यवस्थित अभियान चला कर विक्रेताओं के साथ ही उपभोक्ताओं को भी जागरुक करने को कहा गया है। हालांकि इस संबंध में किसी सजा का प्रावधान अभी नहीं किया गया है।
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रेहड़ी-पटरी वाले करते हैं ज्यादा इस्तेमाल
प्राधिकरण ने मंगलवार को जारी अपने पत्र में अखबारों के साथ ही रीसाइकिल पेपर और रीसाइकिल कार्डबोर्ड के भी खाद्य पदार्थो के साथ इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। छोटे रेस्टोरेंट और सड़क किनारे के खोमचे वालों के साथ ही बहुत से घरों में भी इसका इस्तेमाल होता है। कई लोग इसलिए भी इसका उपयोग करते हैं, ताकि अतिरिक्त तेल या घी इसमें सोखाया जा सके।
कैसे खतरनाक ?
अखबार की स्याही में बहुत से बायोएक्टिव तत्व होते हैं। साथ ही इसमें नुकसानदेह रंग, पिगमेंट, एडिटीव और प्रीजर्वेटिव शामिल होते हैं। इनका स्वास्थ्य पर गंभीर नुकसान होता है। यही नहीं इसका कागज अपने आप में भी नुकसानदेह होता है। अखबारों, रीसाइकिल पेपर और रीसाइकिल कार्डबोर्ड में मैटेलिक कंटेमिनेंट्स, मिनरल आयल्स और ऐसे रसायनिक तत्व हो सकते हैं जो पाचन संबंधी समस्या से ले कर गंभीर विषाक्तता तक पैदा कर सकते हैं। साथ ही यह बच्चे, किशोर और बुजुर्गों में कैंसर से जुड़ी समस्याएं तक पैदा कर सकता है।