ISIS के चंगुल से छूटने के बाद डाक्टर ने कहा, यकीन नहीं कि जिंदा हूं मैं
डॉक्टर बड़ी मुश्किल से चल पा रहे थे क्योंकि उनके पैरों में गोलियों के जख्म थे। वह अपने बाएं बांह को नहीं घूमा सकते थे क्योंकि उसमें भी गोली लगी हुई थी।
विजयवाड़ा, जेएनएन। लीबिया में आईएसआईएस के चंगुल में पिछले सतरह महीने तक बुरी तरह टॉर्चर का सामने करनेवाले 32 वर्षीय डॉक्टर राममूर्ति ने रविवार को जब विजयवाड़ा हवाई अड्डे पर कदम रखा तब जाकर कहीं उनके शरीर में जान आयी।
उन्होंने कहा, "ईश्वर की कृपा से अब मैं आज़ाद हूं। लेकिन ऐसा विश्वास नहीं हो रहा है। मैं भारत में अपने परिवार से मिलुंगा। मैं कई तरह की पीड़ा से गुजर रहा हूं क्योंकि अपहर्ताओं ने कालकोठरी में बंद कर मेरे साथ काफी बुरा व्यवहार किया।"डॉक्टर राममूर्ति की पत्नी अन्ना भवानी और उनके बच्चों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया जहां पर कई अधिकारी, राजनेता और पत्रकार उन्हें देखने के लिए खड़े थे। वहां का नजारा बेहद दिल को छू लेनेवाला था क्योंकि डॉक्टर के रिश्तेदारों की आंखों में आंसू भरे हुए थे।
डॉक्टर राममूर्ति बड़ी मुश्किल से चल पा रहे थे क्योंकि उनके पैरों में गोलियों के जख्म थे। वह अपने बाएं बांह को नहीं घूमा सकते थे क्योंकि उसमें भी गोली लगी हुई थी। आन्ध्र हॉस्पीटल के डॉक्टरों ने कहा कि डॉक्टर राममूर्ति जिस मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुजरा हैं ऐसे में उनकी हालत सुधरने में कम से कम चार महीने का समय लगेंगे।राममूर्ति उन नौ डॉक्टरों में शामिल थे जिन्हें आईएसआईएस आतंकियों द्वारा अपने घायल साथियों का इलाज करने के लिए अपहरण कर लिया गया था।
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