26/11 के मुंबई हमले को कभी नहीं भूल सकता है भारत, आज भी ताजा है लोगों के दिलों में कसाब का चेहरा
26/11 के मुंबई हमले की यादें आज भी देशवासियों के दिलों में जिंदा हैं। इसी दिन देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई को लश्कर के दस आतंकियों ने बेगुनाहों के खून से लाल कर दिया था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। 26/11 भारत के इतिहास का वो दिन है जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इसी दिन अजमल कसाब समेत लश्कर के दस आतंकियों ने मुंबई में खूनी खेल को अंजाम दिया था। कसाब इस हमले का एकमात्र आतंकी था, जिसको जिंदा पकड़ा गया था। गुलाम कश्मीर के फरीदकोट का रहने वाले कसाब को 3 मई 2010 को 80 मामलों में दोषी ठहराया गया था। उसके खिलाफ भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने हमला करने और बेगुनाहों का खून बहाने का दोषी ठहराया गया था।
कोर्ट ने 6 मई 2010 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी। उसको सजा दिलवाने में एक बच्ची, जो हमले के दौरान मंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मीनस पर मौजूद थी, ने अहम भूमिका निभाई थी। उसने कोर्ट में कसाब को पहचाना था।पूरी दुनिया में एके-47 लिए किसाब की फोटो सुर्खियां बनी थी। हालांकि इसके बावजूद पाकिस्तान ने ये मानने से इनकार कर दिया था कि इस हमले में उसका कोई हाथ है। अजमल कसाब 21 नवंबर 2012 में पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे दी गई और वहीं पर दफना भी दिया गया था।
लश्कर ए तैयबा ने मुंबई हमले में शामिल सभी आतंकियों को न सिर्फ ट्रेनिंग दी थी बल्कि पैसा भी दिया था। ये लोग हमले के दौरान लगातार अपने आकाओं के संपर्क में भी थे। मुंबई की हर वक्त दौड़ती-भागती जिंदगी पर इस हमले ने ब्रैक लगा दिया था। हर तरफ चीख-पुकार थी और दहला देने वाली खामोशी थी। हमले से बचने के लिए दौड़ते भागते लोगों के चेहरे पर दहशत थी। इस हमले में देश ने अपने कई बहादुर सिपाहियों को खो दिया था।
View attached media content - Sambit Patra (@sambitpatra) 26 Nov 2021
शहीद वीरों की शहादत को मेरा सादर नमन!! 26/11 के आतंकी हमले में अपने कर्तव्यों को निभाते हुए शहीद हुए बहादुर सुरक्षाकर्मियों को मैं शत-शत नमन करता हूँ तथा हमले के दौरान जान गंवाने वाले नागरिकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। - Manohar Lal (@manoharlalbjp) 26 Nov 2021
इस हमले में आतंकियों ने मुंबई की शान होटल ताज पैलेस, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ओबेराय ट्राइडेंट, ताज पैलेस और टावर, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा, टाइम्स ऑफ इंडिया की इमारत और सेंट जेवियर्स कालेज के पीछे, विले पार्ले पर हमले को अंजाम दिया था। इन आतंकियों को खत्म करने के लिए पहले पुलिस, फिर मरीन कमांडो और फिर एनसीजी के जवानों का करीब 72 घंटे का अभियान चला था। आतंकियों के खात्मे के लिए आपरेशन ब्लैक टारनेडो चलाया गया था। होटल ताज में ही एनएसजी के जवानों ने चार आतंकवादियों को मार गिराया था और करीब 625 लोगों को सुरक्षित होटल से बाहर निकाला था।