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रेलवे बोर्ड अध्यक्ष लोहानी ने अफसरों को जिम्मेदारी लेने की दी नसीहत

जीएम व डीआरएम को लिखे एक दूसरे पत्र में लोहानी ने उनसे घिसापिटा रवैया छोड़ मातहत अफसरों को नए प्रयोगों की छूट देने के लिए प्रेरित किया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 12 Dec 2017 08:33 PM (IST)Updated: Tue, 12 Dec 2017 08:33 PM (IST)
रेलवे बोर्ड अध्यक्ष लोहानी ने अफसरों को जिम्मेदारी लेने की दी नसीहत

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी ने सभी महाप्रबंधकों तथा मंडलीय प्रबंधकों से संरक्षा संबंधी मामलों में व्यक्तिगत तौर पर रुचि लेने तथा खामियों को निर्धारित समय के भीतर दूर करने को कहा है। उन्होंने उत्साही अधिकारियों को नए प्रयोगों की छूट देने में आनाकानी करने के खिलाफ भी जीएम व डीआरएम को आगाह किया है।

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जीएम तथा डीआरएम को लिखी चिट्ठी में लोहानी ने कहा है कि रेलवे में संरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में कई स्तरों पर निगरानी व जांच की व्यवस्था है। इसके अलावा संरक्षा विभाग अलग से इनके कार्यो की अपने स्तर पर सुपर जांच करता है। जिसके तहत समय-समय पर औचक निरीक्षण, संरक्षा ऑडिट तथा संयुक्त निरीक्षण की कार्रवाइयां की जाती हैं।

इसके अलावा संरक्षा विभाग रेलवे बोर्ड द्वारा जारी विभिन्न नियमों तथा दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की समीक्षा भी करता है और जहां कहीं कमियां होती हैं उनकी ओर इशारा करते हुए उन्हें दूर करने की ताकीद करता रहता है। इसके लिए इस साल मार्च से एक वेब आधारित सेफ्टी इंफारमेशन मैनेजमेंट सिस्टम (सिम्स) का इस्तेमाल शुरू किया गया था। इसमें ट्रेन संचालन से जुड़े विभिन्न विभागों में पाई जाने वाली संरक्षा संबंधी खामियों का ब्यौरा दर्ज किया जाता है।

सिम्स ने इस साल मार्च से 14 नवंबर तक की अवधि में संपूर्ण भारतीय रेलवे में कुल मिलाकर 5070 खामियां उजागर कीं। लेकिन इनमें से केवल 70 फीसद खामियों को दूर करने के लिए कदम उठाए गए। कई जोनों ने इससे भी कम खामियां दूर कीं। यही नहीं, लगभग पांच फीसद खामियां ऐसी थीं जिन्हें तीन महीने बाद भी दूर नहीं किया गया था।

यह स्थिति तब है जब रेलवे बोर्ड ने इससे पहले 28 जनवरी, 2015 को ही सभी विभागों को पत्र के जरिए ताकीद की थी कि संरक्षा से जुड़े सभी मामलों में मुख्य संरक्षा अधिकारी के साथ समन्वय स्थापित कर खामियों को समय रहते दूर किया जाना आवश्यक है। बोर्ड ने साप्ताहिक संरक्षा बैठकों में भी इन खामियों पर चर्चा करने और इनके आधार पर प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान कर तुरंत कदम उठाने को कहा था।

जीएम व डीआरएम को लिखे एक दूसरे पत्र में लोहानी ने उनसे घिसापिटा रवैया छोड़ मातहत अफसरों को नए प्रयोगों की छूट देने के लिए प्रेरित किया है। लोहानी ने लिखा है, 'मैने पाया है कि हमारे अधिकारी नियम-कानूनों के डर से नए विचारों अथवा प्रयोगों को आगे बढ़ाने से कतराते हैं। यह रवैया सही नहीं है तथा इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। बल्कि आपको अपने फील्ड अफसरों को नए विचार एवं प्रस्तावों को अपनाने तथा उन्हें निर्णायक मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यदि प्रयोग तर्कसंगत और रेलवे के व्यवसाय को बढ़ाने वाला है तो नियमों के बावजूद उसे बढ़ावा देने का साहस जुटाना होगा।'

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