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खुद के बुने जाल में फंस गए तलवार दंपति

डॉ. राजेश और नूपुर तलवार खुद के बुने जाल में फंस गए। नोएडा पुलिस पर गलत जांच का आरोप लगाकर सीबीआइ जांच की मांग की थी। प्रारंभिक जांच ने उन्हें मदद मिली।

By Edited By: Published: Wed, 27 Nov 2013 08:35 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2013 09:17 AM (IST)

नोएडा [जासं]। डॉ. राजेश और नूपुर तलवार खुद के बुने जाल में फंस गए। नोएडा पुलिस पर गलत जांच का आरोप लगाकर सीबीआइ जांच की मांग की थी। प्रारंभिक जांच ने उन्हें मदद मिली।

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डॉ. राजेश तलवार को आरोप मुक्त कर सीबीआइ ने नौकरों को आरोपी बनाया लेकिन दूसरी जांच टीम के जाल में तलवार दंपति फिर फंस गए। जिस सजा से बचने के लिए सीबीआइ जांच की मांग की, आज उसी सीबीआइ जांच के आधार पर उम्र कैद की सजा काटने डासना जेल पहुंच गए।

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17 मई को हेमराज का शव छत पर मिलने के बाद से ही तलवार दंपती सवालों के घेरे में थे। मीडिया अंगुली उठा रही थी लेकिन उन्होंने कभी आरोपों का जवाब नहीं दिया। इसी बीच 23 मई को नोएडा पुलिस ने डॉ. राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद 24 मई की शाम डॉ. नूपुर तलवार, डॉ. दिनेश तलवार, डॉ. अनिता दुर्नानी और डॉ. प्रफुल्ल दुर्नानी पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने नोएडा पुलिस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। उन्होंने पुलिस पर परिवार की इज्जत की धच्जियां उड़ाने का आरोप लगाया था।

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उन्होंने दावा किया था कि डॉ. राजेश तलवार आरुषि से बेहद प्यार करते थे और वह उसका कत्ल कर ही नहीं सकते थे। नोएडा पुलिस पर अविश्वास जताते हुए दिनेश तलवार ने सीबीआइ जांच की मांग की थी। उस दौरान उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया। डॉ. राजेश तलवार के तीन दिन की पुलिस रिमांड पर जब नोएडा पुलिस के हाथ आला कत्ल नहीं लगा और वह तमाम सवालों के जवाब नहीं दे सकी तो 29 मई को मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी थी। इससे तलवार दंपती को भारी राहत मिली थी। उन्होंने न्याय की उम्मीद भी जताई थी।

31 मई की रात कोतवाली सेक्टर 20 में सीबीआइ की टीम पहुंची और केस डायरी को कब्जे में ले लिया था। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सीबीआइ की टीम 1 जून को एल 32 सेक्टर 25 और जांच प्रारंभ की। दोपहर को मुख्यमंत्री मायावती की प्रेस वार्ता हुई जिसमें उन्होंने कहा कि था कि नोएडा पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे हैं। अब सीबीआइ जांच हो रही है।

सच्चाई सामने आ जाएगी। सीबीआई ने जांच प्रारंभ की। नौकर कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को आरोप बनाया। 50 दिन बाद 11 जुलाई 2008 को जेल से रिहा हो गए। उस दौरान डॉ. तलवार दंपती ने सीबीआइ जांच की दिशा को सही माना था।

सीबीआई की जांच टीम बदली और संदेह के घेरे में फिर से तलवार दंपती आ गए। सीबीआइ ने उन्होंने सीधे तौर पर आरोपी तो नहीं बनाया लेकिन क्लोजर रिपोर्ट में इशारा उन्हीं की ओर था। इसी का नतीजा है कि तलवार दंपती को कोर्ट ने दोषी ठहराया।

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