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आर्मी ने दोबारा की ‘मिनी एयरफोर्स’ की मांग, IAF कर चुका है इंकार

आर्मी अपनी खुद की 'मिनी एयर फोर्स' चाहती है और इसके लिए भारी वजन ढोने वाले हथियारों से लैस हेलिकॉप्टरों की मांग कर रही है।

By Monika minalEdited By: Published: Sat, 20 May 2017 01:03 PM (IST)Updated: Sat, 20 May 2017 01:38 PM (IST)
आर्मी ने दोबारा की ‘मिनी एयरफोर्स’ की मांग, IAF कर चुका है इंकार

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। आर्मी अपनी पुरानी मांग को दोहराते हुए फिर से खुद के लिए ‘मिनी एयरफोर्स’ की मांग कर रही है, इसके लिए वायुसेना पहले इंकार कर चुका है। एयरफोर्स का कहना है कि अगर आर्मी भी खुद के लिए 'छोटा-मोटा एयर फोर्स' खड़ा कर लेगी तो उसपर बहुत संसाधन की जरूरत होगी।

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आर्मी का मानना है कि हमलावर दस्तों के साथ-साथ 'सामरिक हवाई संपत्तियों' की त्वरित तैनाती के लिए इनपर उसका 'पूर्ण नियंत्रण' रहे जबकि एयर फोर्स को बड़ी सामरिक भूमिकाओं पर ध्यान देना चाहिए। आर्मी अन्‍य चॉपरों के साथ हेवी ड्यूटी अटैक हेलीकॉप्‍टरों के तीन स्‍क्‍वाड्रन चाहती है ताकि इसकी तीन प्राइमरी स्ट्राइक कोर को दुश्मनों के इलाके में बख्तरबंद दस्ते की त्वरित पहुंच सुनिश्चित करने में मदद मिले। इस क्रम में आर्मी अमेरिका से 11 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए सरकार को मनाने में जुटी है। एयरफोर्स ऐसे 22 चॉपरों के लिए पहले ही 13,952 करोड़ रुपये की डील कर चुका है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, 'शनिवार को रक्षा मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होनेवाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में इस खरीद प्रस्ताव पर विचार हो सकता है।' नियम के तहत इसके लिए अमेरिका को 28 सितंबर तक ही ऑर्डर दिया जा सकता है। दरअसल, ऑरिजनल कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत 2015 में इसी तारीख को हुआ था। इस 'हाइब्रिड' डील के एक हिस्से में चॉपरों के लिए बोइंग के साथ हस्ताक्षर हुआ था जबकि दूसरे हिस्से में हथियारों, राडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर स्वीट्स के लिए अमेरिकी सरकार के साथ करार हुआ था।

भारत ने सितंबर 2015 में 15 चिनूक हेलिकॉप्टरों की खरीद का करार किया था। इसके तहत जुलाई 2019 से भारतीय वायु सेना को 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति होनी है। इनके अलावा, 812 AGM-114L-3 हेलफायर लॉन्गबो मिसाइल, 542 AGM-114R-3 हेलफायर-II मिसाइल, 245 स्ट्रिंगर ब्लॉक I-92H मिसाइल और 12 AN/APG-78 फायर-कन्ट्रोल राडार भी मिलने वाले हैं। आर्मी ने इन 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों की खरीद प्रक्रिया के दौरान भी इन पर अपने 'मालिकाना हक एवं नियंत्रण' की मांग की थी क्योंकि दुनियाभर में मशीनगनों से युक्त हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल दुश्मन के इलाकों पर हवा से चौतरफा हमला करने में किया जाता है।

बता दें, इससे पहले यूपीए सरकार ने हेलीकॉप्टरों की खीचातानी को लेकर फैसला दिया था कि सभी खरीदे गए 22 हेलीकॉप्टर वायु सेना के पास ही जाएंगे। वहीं खबर के मुताबिक सेना एक अधिकारी ने इस मामले पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आर्मी एविएशन कॉर्प को 1986 में बनाया गया था, जिसके पास लगभग 250 से ज्यादा चेतक/चीता लाइट हेलीकॉप्टर और ध्रुव एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर हैं। अधिकारी के मुताबिक, ऐसे में आर्मी एविएशन कॉर्प को अटैक हेलीकॉप्टर भी मिलने चाहिए।

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