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तबाही की आग और कई सवाल, पुलगांव आयुध डिपो की जांच में जुटी सेना

सेना के पुलगांव डिपो में लगी आग के पीछे का सच क्या है। इसके पीछे कहीं साजिश या मानवीय वजह तो नहीं थी। मामले की तह तक पहुंचने के लिए सेना ने जांच शुरू कर दी है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 01 Jun 2016 10:34 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jun 2016 12:20 PM (IST)

वर्धा। देश के सबसे बड़े पुलगांव आयुध डिपो में लगी आग पर जांच के आदेश दे दिए गए हैं। रक्षामंत्रालय के निर्देश के बाद जांच शुरू भी हो चुकी है। लेकिन तबाही की ये आग अपने पीछे कई सवाल भी छोड़ गयी है। जिसके जवाब का इंतजार है। मंगलवार की रात आयुध डिपो में लगी आग में सेना के दो अधिकारियों समेत 19 लोगों की मौत हो गयी थी।

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एक और अग्निकांड

घायलों को वर्धा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। हालात का जायजा लेने पुलगांव पहुंचे रक्षा मंत्री ने घायलों का हालचाल जाना। उन्होंने कहा कि आग की वजह का पता सेना की जांच के बाद पता चलेगा।

तबाही की आग और कई सवाल

बताया जा रहा है कि डिपो बंद पड़ा था और गोला बारूद को एक जगह से दूसरी जगह भी नहीं ले जाया रहा था। इस हालात में आग कैसे लगी। पुलगांव डिपो में करीब 15 शेड हैं। उनमें से सिर्फ एक ही शेड में आग लगी तो इतनी मौतें कैसे हो गयीं। आग पर काबू पाने में जरुरत से ज्यादा समय लगा क्योंकि आयुध डिपो के अंदर पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। इसके अलावा हर शेड के बीच में मिट्टी की मोटी दीवारें हैं।

पहले भी हुए हादसे

2000 में भरतपुर में स्थित सेना के आयुध डिपो में आग से 376 करोड़ का गोला-बारूद नष्ट।

2001 में श्रीगंगानगर स्थित आयुध डिपो में 24 मई को आग लगी। 3 सैन्य अधिकारी जख्मी।

2007 में अनंतनाग स्थित डिपो में आग से एक नागरिक समेत 3 सैन्यकर्मियों की मौत, 40 घायल।

2010 में पश्चिम बंगाल के बर्धमान में स्थित डिपो में आग।

2015 में विशाखापत्तनम में नौसैनिक के आयुध डिपो में आग से पांच लोग जख्मी हुए थे।

भारत का सबसे बड़ा हथियार डिपो

वर्धा जिले के पुलगांव में स्थित यह केंद्रीय आयुध भंडार (सीएडी) देश के बड़े आयुध भंडारों में से एक है। निकट के कई आयुध कारखानों से हथियार उत्पादन के बाद इस डिपो में रखे जाते हैं। जिन्हें बाद में आवश्यकतानुसार जरूरत की जगहों पर भेजा जाता है। ब्रम्होस मिसाइल से लेकर एके 47 जैसे हथियार एवं गोला-बारूद इस आयुध भंडार में रखे जाते हैं। अपनी निर्धारित अवधि पार कर चुके हथियारों को नष्ट करने का काम भी इसी आयुध डिपो द्वारा किया जाता है। अर्थात बेकार हो चुके हथियारों का भी बड़ा भंडार यहां रहता है। सुरक्षा की दृष्टि से इस आयुध भंडार के चारों ओर एंटी टैंकर माइन्स बिछाए गए हैं। करीब 10,000 एकड़ में फैले इस हथियार डिपो में आज रात करीब डेढ़ बजे आग लगी और विस्फोट शुरू हो गए। आग बुझाने के प्रयत्न तुरंत शुरू कर दिए गए थे। बीच-बीच होते रहे विस्फोटों के कारण आग बुझाने में दिक्कतें आईं। खबर लिखे जाने तक आग पर काबू पाया जा चुका है।


वर्धा के जिलाधिकारी शैलेश नवल के अनुसार आग लगने के कुछ देर बाद ही आयुध भंडार के निकट स्थित पांच गांवों को तुरंत खाली करा लिया गया था। लेकिन ख़तरा टलते देख अब गांव के लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए थे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए स्थानीय प्रशासन को हरसंभव मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया।


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