सेना की हर कमान में बनेगा खास सेल
फौज में नए साजो-सामान की खरीद की रफ्तार सुधारने के लिए सेना मुख्यालय हर कमान में एक नया ट्रायल सेल बनाने की तैयारी कर रहा है। सेना के आधुनिकीकरण को गति देने की जुगत से बनाए जा रहे इस नए प्रकोष्ठ का काम नए हथियारों एवं सैन्य उपकरणों के परीक्षण में लगने वाले वक्त को कम कर खरीद प्रक्रिया को चुस्त करना होग
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। फौज में नए साजो-सामान की खरीद की रफ्तार सुधारने के लिए सेना मुख्यालय हर कमान में एक नया ट्रायल सेल बनाने की तैयारी कर रहा है। सेना के आधुनिकीकरण को गति देने की जुगत से बनाए जा रहे इस नए प्रकोष्ठ का काम नए हथियारों एवं सैन्य उपकरणों के परीक्षण में लगने वाले वक्त को कम कर खरीद प्रक्रिया को चुस्त करना होगा।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक आधुनिकीकरण सेना मुख्यालय की प्राथमिकता है। मौजूदा ढांचे में इसकी धीमी रफ्तार लगातार चिंता का सबब बनी हुई है। बीते दिनों हुई सेना के शीर्ष कमांडरों की बैठक में भी आधुनिकीकरण की रफ्तार को लेकर चिंता जताई गई थी। इसी के बाद सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने हथियारों एवं सैन्य उपकरणों के परीक्षणों को सुगम बनाने के लिए इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी। प्रस्तावित प्रकोष्ठ का ढांचा तय किया जा रहा है और जल्द ही छह कमानों में इसकी स्थापना कर दी जाएगी। प्रस्तावित सुधारों के सहारे खरीद परीक्षणों की मौजूदा व्यवस्था को विकेंद्रीकृत किया जाएगा। साथ ही परीक्षणों को समय से पूरा करने की जिम्मेदारी भी कमान के स्तर पर ही निर्धारित की जाएगी।
रक्षा मंत्रालय के थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के विशेषज्ञ रुमेल दहिया इस मुद्दे पर कहते हैं कि सेना में बड़ी संख्या में खरीद योजनाएं तकनीकी खामियों और प्रक्रियागत सुस्ती के कारण पूरी नहीं हो पाती हैं। इसके कारण सेना को कई बार आधुनिकीकरण के लिए आवंटित बजट भी लौटाना पड़ता है। ऐसे में सेना में जरूरी सुधार अब वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। महत्वपूर्ण है कि धीमी ट्रायल प्रक्रिया के चलते सेना मुख्यालय बीते तीन सालों में अभी तक नए ट्रकों की खरीद नहीं कर पाया है। वहींफील्ड तोपों के ट्रायल में गड़बड़ियों की शिकायत के कारण तोपखाने का आधुनिकीकरण भी लड़खड़ाता रहा है।
गौरतलब है कि सेना की ट्रायल प्रक्रिया काफी जटिल होती है। ऐसे में सेना मुख्यालय की योजना खरीद के लिए मानक तय करने से लेकर सौदों को अंजाम तक पहुंचाने के सभी चरणों को चुस्त-दुरुस्त करने की है। इससे सैन्य कमांडरों के स्तर पर निर्धारित खरीद संबंधी अधिकारों के भी बेहतर इस्तेमाल की उम्मीद है।
सेना में गोला-बारूद व तोपखाने में भारी कमी पर पूर्ववर्ती सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम लिखे पत्र ने हड़कंप मचाया था। वहीं सेना में जरूरी उपकरणों की कमी की बात स्वीकारते हुए मौजूदा सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय को ताजा स्थिति से अवगत कराया है।
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