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एएमयू ने खोजी डायबिटीज की काट

पैंक्रियाज को स्वस्थ बनाती है दवा, शानदार नतीजे देख पेटेंट की तैयारी। चूहों पर सफल परीक्षण के बाद 55 मरीजों पर चल रहा क्लीनिकल ट्रायल...

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 18 Jul 2017 09:31 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jul 2017 09:31 AM (IST)
एएमयू ने खोजी डायबिटीज की काट
एएमयू ने खोजी डायबिटीज की काट

अलीगढ़ (संतोष शर्मा)। दुनियाभर में तेजी से फैल रही डायबिटीज (मधुमेह) का हिंदुस्तान ने इलाज खोज लिया है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अजमल खां तिब्बिया कॉलेज ने जड़ी-बूटियों से एक ऐसी यूनानी दवा बनाई है, जो डायबिटीज खत्म करने में सक्षम है। दवा का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। अच्छी बात यह है कि शुगर लेवल को नियंत्रित करने के साथ यह इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं को रीअरेंज भी करती है। फिर, इंसुलिन का सामान्य स्नाव होने लगता है और दवा की जरूरत ही नहीं रह जाती। 55 मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल के बेहतरीन नतीजे देखकर इसे पेटेंट कराने की तैयारी शुरू हो गई है।

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प्रो खान की टीम का कमाल तिब्बिया कॉलेज के इलमुल अदविया डिपार्टमेंट के प्रो नईम अहमद खान व उनकी टीम ने इस दवा को तैयार किया है। वर्षों के तजुर्बे के आधार पर प्रो खान ने वर्ष 2013 में पनीर डोडा, दाल चीनी समेत आठ जड़ी बूटियों से यह दवा तैयार कर डायबिटीज पीड़ित चूहों पर आजमाई। चूहों पर परीक्षण सफल रहा तो इसी साल जनवरी से इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया। दिन में दो-दो गोलियां तीन बार दी जा रही हैं। दवा कितने दिन खानी है, यह मर्ज की गंभीरता पर निर्भर है। यह दवा तिब्बिया कॉलेज में निशुल्क उपलब्ध है। इससे जुड़ी जांचें भी मुफ्त हैं। दवा को अभी तक कोई नाम नहीं दिया गया है।

हर परीक्षण में खरी : यह दवा सभी परीक्षणों में खरी उतर चुकी है। चूहों पर ट्रायल से पहले एएमयू ने केंद्र सरकार से मान्य इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल एथिक्स कमेटी (आइएईसी) से अनुमति ली थी। सफलता मिली तो इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल के लिए सात सदस्यीय इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की एथिक्स कमेटी से मंजूरी ली। दिल्ली टेस्ट हाउस के परीक्षण में भी दवा खरी उतरी। 35 करोड़ लोग चपेट में रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय दुनिया में 35 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार हैं। भारत इस मामले में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। यहां छह करोड़ से अधिक लोग इसकी चपेट में हैं।

बेमिसाल है दवा
मौजूदा दवाएं पैंक्रियाज को इंसुलिन बनाने के लिए उत्प्रेरित करती हैं, ताकि खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित की जा सके। इसी कारण ये दवाएं जिंदगीभर लेनी पड़ती हैं। जड़ी-बूटी से तैयार यह दवा नई दवा पैंक्रियाज की बीटा सेल्स को रीअरेंज करती है, ताकि वह निरंतर इंसुलिन बनाती रहें। फिर, दवा खाने की जरूरत खत्म हो जाती है। मीठी चीजों से परहेज की भी जरूरत नहीं।

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