सर्जिकल स्ट्राइक से दिखी सेना की क्षमता और पीएम मोदी की शक्तिः शाह
कांग्रेस पर प्रहार करते हुए शाह ने कहा, हमनें लकवाग्रस्त सरकार की जगह तीन साल के भीतर मजबूत सरकार दी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में यूं तो भाजपा के पास गिनाने को लंबी सूची है, लेकिन राजनीतिक तौर पर तुष्टीकरण, वंशवाद और जातिगत राजनीति से मुक्ति को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सबसे बड़ा बदलाव मानते हैं। शुक्रवार को हर मानक पर मोदी सरकार को जनता की अपेक्षा पर खरा बताते हुए शाह ने कहा कि 2014 के बाद हर राज्य में भाजपा का जनाधार बढ़ा है और अधिकतर राज्यों में जीत हुई है। यह मोदी सरकार पर जनता की मुहर है।
शुक्रवार से केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा मुख्यमंत्रियों व अन्य पदाधिकारियों का राज्यों मे दौरा शुरू हो गया है। खुद प्रधानमंत्री जहां असम में थे वहीं दिल्ली में मीडिया से रूबरू शाह ने आंकड़ों के साथ यह दावा किया कि एक बड़े वर्ग के लिए अच्छा दिन शुरू हो चुका है। स्वरोजगार की बात हो तो मुद्रा से लाभान्वित इसका अहसास कर रहे हैं। दवाई और ईलाज का विषय हो तो सस्ता स्टेंट और दवाई पाने वाले लोग यह मान रहे हैं। पहले दिन से सरकार गरीबों और पिछड़ों को प्राथमिकता में रखकर काम कर रही है। और पिछले चुनावों में साबित हो चुका है कि जनता मोदी सरकार को गरीबों की सरकार मानती है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि 125 करोड़ लोगों को नौकरी देकर रोजगार मुहैया नहीं कराया जा सकता है। लेकिन सरकार ने उसका रास्ता ढूंढा है। परिणाम दिखने लगे हैं। आने वाले दिनों में इसका विस्तार दिखेगा। शाह ने सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी जैसे कदमों का भी उल्लेख किया।
राजनीतिक तौर पर शाह ने तुष्टीकरण, जातिपाति से मुक्ति और वंशवाद से छुटकारा को भारत के लिए बड़ी उपलब्धि करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सरकार पहले दिन से सबका साथ सबका विकास के नारे पर चल रही है। अल्पसंख्यकों का विकास भी उसमें शामिल हैं। मोदी सरकार सबको एक साथ लेकर आगे बढ़ना चाहती है। विकास की धारा में ही जाति पाति भी बह गई है। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब कोई वीआइपी नहीं है। लालबत्ती हटाने का फैसला बदलाव की बयार का ही संकेत है। एक सवाल के जवाब में शाह थोड़े भड़के भी। दरअसल, किसी ने मोदी काल की तुलना इंदिरा काल से कर दी और कहा कि विपक्षी दल प्रताडि़त होने का आरोप लगा रहे हैं। शाह ने तत्काल रोकते हुए याद दिला दिया कि इंदिरा काल में तो मीडिया की जुबान भी बंद कर दी गई थी। रही बात कार्रवाई की तो क्या उन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए जो भ्रष्टाचार के जरिए जनता के पैसे को अपनी जेब में डाल रहे थे।
कश्मीर मुद्दे को सुलझने को लेकर शाह आश्वस्त है। जबकि मेजर लीतुल गोगोई की आलोचना किए जाने को वह सेना के मनोबल के लिए अनुचित मानते हैं।
शाह ने बातचीत के दौरान राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर को चुप्पी रखी लेकिन कहा कि सही वक्त पर विपक्षी दलों से भी बात होगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल भाजपा को रोकने के रणनीति बना रहे है, जबकि भाजपा देश को आगे लेकर की रणनीति पर काम कर रही है।