आजम खां की बढ़ी मुश्किलें, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस
उत्तर प्रदेश सरकार की सरपरस्ती में लंबे समय से लाभ के दो पदों पर काबिज मंत्री आजम खां को झटका लगने वाला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लाभ के दो पदों पर काबिज आजम खां से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। आजम खां उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के साथ ही रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय में कुलाधिपति के पद
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की सरपरस्ती में लंबे समय से लाभ के दो पदों पर काबिज मंत्री आजम खां को झटका लगने वाला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लाभ के दो पदों पर काबिज आजम खां से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। आजम खां उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के साथ ही रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय में कुलाधिपति के पद पर भी काम कर रहे हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी की बेंच ने आजम खां से दोहरा लाभ लेने की बाबत उनसे छह हफ्ते में जवाब मांगा है। लखनऊ के शिया धर्म गुरु इमाम राजा हुसैन और एक अन्य ने आजम खां के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें मांग है कि आजम को कैबिनेट मंत्री के पद से तुरंत हटाया जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अशोक पांडे का तर्क था कि आजम मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के चांसलर हैं। चांसलर का यह पद लाभ के पद की श्रेणी में आता है। संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत लाभ के पद पर रहने वाला व्यक्ति विधायक नहीं हो सकता। अत: जिस दिन आजम चांसलर बने वह मंत्री पद के अयोग्य हो गए। साथ ही मांग की गई है कि आजम खां के चुनाव को अवैध घोषित किया जाये। उन्होंने लाभ के पद पर रहते हुए विधायक का चुनाव जीता था, जो कि संवैधानिक रूप से गलत है। अदालत को चाहिए कि वह आजम खां की बतौर विधायक मान्यता को निरस्त करे।
आजम खां 2006 में जौहर विश्वविद्यालय के चांसलर बने थे। कानून चांसलर का पद लाभ का है। ऐसे में आजम खां का चांसलर रहते हुए विधायक चुना जाना भारतीय संविधान की धारा 191 का उल्लंघन है। धारा 191 के तहत अगर कोई भी व्यक्ति जो राज्य या केन्द्र सरकार के किसी लाभ के पद पर नियुक्त है, उसके विधानसभा या लोकसभा का सदस्य नहीं चुना जाता है, यदि ऐसा होता है तो उसका चुनाव वैध नहीं होगा।
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