केंद्र सरकार का बड़ा कदम, सरकारी मकानों पर कब्जा करने के सारे विकल्प खत्म
सरकारी आवासीय परिसरों को नियत समय पर खाली करना वैधानिक कर दिया गया है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। सरकारी मकानों पर कब्जा जमाये रखने के सारे विकल्प खत्म कर दिये गये हैं। केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर अदालत जाने के भी रास्ते को रोक दिया है। सरकार का यह फैसला माननीय सांसदों व मंत्रियों पर भी लागू होगा।
सरकारी मकानों में निर्धारित समय से अधिक समय तक रहना अब संभव नहीं होगा। सरकारी कर्मचारियों को भी हर हाल में मकान से बेदखल होना पड़ेगा। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को हुआ।
सरकारी आवासीय परिसरों को नियत समय पर खाली करना वैधानिक कर दिया गया है। लेकिन जो लोग समय से आवास खाली नहीं करेंगे, उन्हें पहले चरण में भारी जुर्माना अदा करना होगा। इसके लिए भी बहुत कम समय निर्धारित किया गया है। केंद्रीय पूल के मकान सरकारी कर्मचारी, अधिकारी, सांसद और अन्य कई वर्ग के लिए आरक्षित रहते हैं।
आमतौर पर देखा गया है कि सरकार बदलने के साथ ही सांसदों व मंत्रियों को मकान खाली करना होता है, लेकिन माननीय तरह-तरह के बहाने बनाकर मकानों पर लंबे समय तक काबिज रहते हैं। बार-बार के आग्रह के बावजूद मकान खाली कराना एक बड़ी समस्या हो गई थी।
सरकार ने इस लाइलाज समस्या से निजात पाने के लिए कानूनी प्रावधान कर दिया है, जिसके तहत न तो कोई बहानेबाजी कर सकता है और न ही अदालत का रास्ता अख्तियार मामले को लटका सकता है।
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