जानिए, भारत के इन राज्यों में 10 साल से क्यों हो रही 'एसिड रेन'
तेजाबी बारिश का बुरा असर जमीन पर ही नहीं, बल्कि इमारतों पर भी पड़ता है। इससे जमीन का उपजाऊपन कम होता है, जिस कारण फसलों के उत्पादन पर असर पड़ता है।
पुणे, जेएनएन। बारिश का पानी काफी उपयोगी माना जाता है, लेकिन प्रदूषण का असर इस पर भी दिखना शुरू हो गया है। वायुमंडल में बढ़ते प्रदूषण के कारण अब बारिश का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। एक रिसर्च में यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिसर्च में सामने आया है कि पिछले लगभग दस सालों के दौरान बारिश के पानी में एसिड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
भारतीय मौसम विभाग और एक संस्था की रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि नागपुर, मोहनबाड़ी (असम), इलाहाबाद, विशाखापत्तनम, कोडाईकनाल में बारिश का पानी बेहद प्रदूषित हो गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इस रिसर्च में 2001 से 2012 के बीच लिए गए पानी के नमूनों की जांच की गई। इस दौरान पीएच स्तर 4.77 से 5.32 के बीच मिला।
आपको बता दें कि पीएच किसी द्रव की अम्लीयता और क्षारीयता मापने का मानक होता है। पीएच स्तर 1 से 14 तक होता है। सात पीएच वाले द्रव को न्यूट्रल, सात से कम पीएच को अम्लीय माना जाता है। नागपुर, मोहनबाड़ी (असम), इलाहाबाद, विशाखापत्तनम, कोडाईकनाल के पानी के नमूमों में पीएच की मात्रा 4.77 से 5.32 के बीच पाई गई। अगर पानी में पीएच की मात्रा 5.65 से कम हो तो ऐसे पानी को एसिड माना जाता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इन जगहों पर एसिड रेन हो रही है।
नागपुर, मोहनबाड़ी (असम), इलाहाबाद, विशाखापत्तनम और कोडाईकनाल में एसिड रेन होने का कारण तेजी से बढ़ता प्रदूषण है। एसिड रेन बारिश के पानी में सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स के मिक्स होने का नतीजा है। ये प्रदूषित गैसें पावर प्लांट्स, गाड़ियों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं में होती हैं।
इस तेजाबी बारिश का बुरा असर जमीन पर ही नहीं, बल्कि इमारतों पर भी पड़ता है। इससे जमीन का उपजाऊपन कम होता है, जिस कारण फसलों के उत्पादन पर असर पड़ता है। इमारतें बदरंग और कमजोर हो जाती हैं। ताजमहल के संगमरमर की कम होती चमक है, एसिड सेन का ही नतीजा है। एसिड रेन की वजह से जलीय जीवन पर असर पड़ता है। पानी और मिट्टी में हेवी मेटल बढ़ जाते हैं, जिसका सीधा असर इंसानी जिंदगी पर पड़ता है।
यह रिसर्च बताती है कि वायु प्रदूषण के कारण हमें सिर्फ सांस की बीमारियां ही नहीं होतीं, बल्कि जमीन से जल तक इससे प्रभावित हो रहा है। अगर हवा में प्रदूषण का स्तर ऐसे ही बढ़ता रहा, तो देश के अन्य राज्यों में भी एडिस रेन हो सकती है।
अनोखी है ये परंपरा यहां बारिश के लिए करवा दी जाती है दो लड़कों की शादी