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प्रधानमंत्री की चिंता के बाद एयरलाइनों पर कसेगी लगाम

मनमाने हवाई किरायों को लेकर अब प्रधानमंत्री की चिंता भी सामने आ गई है। मंगलवार को मसौदा विमानन नीति पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरलाइनों की इस मौकापरस्त नीति पर अंकुश लगाने की जरूरत बताई। विमानन राज्यमंत्री महेश शर्मा ने इसका जिक्र एक औद्योगिक सम्मेलन के बाद

By Murari sharanEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2015 09:59 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2015 10:05 PM (IST)
प्रधानमंत्री की चिंता के बाद एयरलाइनों पर कसेगी लगाम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मनमाने हवाई किरायों को लेकर अब प्रधानमंत्री की चिंता भी सामने आ गई है। मंगलवार को मसौदा विमानन नीति पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरलाइनों की इस मौकापरस्त नीति पर अंकुश लगाने की जरूरत बताई। विमानन राज्यमंत्री महेश शर्मा ने इसका जिक्र एक औद्योगिक सम्मेलन के बाद पत्रकारों से चर्चा के दौरान किया।

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शर्मा ने कहा कि मंगलवार को वह अपने वरिष्ठ मंत्री अशोक गजपति राजू के साथ नई विमानन नीति के मसौदे पर पीएम को प्रजेंटेशन दे रहे थे। उसी वक्त मोदी ने त्योहारों और पर्यटक मांग के दिनों में एयरलाइनों द्वारा मनमाने किराये वसूलने की बात कही और इस पर अंकुश लगाने की जरूरत बताई।

प्रधानमंत्री ने उस विषय को छेड़ा है जिस पर कई सांसद चिंता जता चुके हैं। लिहाजा इसका समाधान जरूरी हो गया है। एयरलाइनें मांग का नाजायज फायदा उठाती हैं। आपात स्थिति में बीमार यात्रियों तक को नहीं बख्शतीं। उन्हें इस प्रवृत्ति का त्याग कर किरायों में कमी करनी चाहिए।

इस मसले पर पहले एयरलाइनों से बात की जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि उनका नाम खराब हो रहा है। यदि एयरलाइनें मान गई तो ठीक वरना विमानन क्षेत्र के नियामक डीजीसीए या एयर इंडिया के जरिये मसले से निपटा जाएगा।

सूत्रों के अनुसार या तो एयरलाइनों के लिए न्यूनतम व अधिकतम किराये तय किए जा सकते हैं। साथ ही जब-जब निजी एयरलाइनें किराये बढ़ाएंगी, तब-तब एयर इंडिया से किराये कम करने को कहा जाएगा। इससे निजी एयरलाइनें किराये घटाने को बाध्य होंगी।

नई विमानन नीति के तहत सरकार क्षेत्रीय, खासकर पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर, अंडमान निकोबार तथा छोटे शहरों के लिए उड़ानों को बढ़ावा देने के लिए हवाई किरायों पर दो फीसद उपकर (सेस) लगा सकती है। सेस से प्राप्त राशि का उपयोग उन एयरलाइनों की मदद में किया जाएगा जो ज्यादा क्षेत्रीय उड़ाने भरेंगी।

घरेलू सेक्टर की एयरलाइनों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अनुमति देने के लिए 5/20 नियम तथा रूट वितरण दिशानिर्देशों (आरडीजी) में ढील के अलावा कई अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। नियम 5/20 के तहत अभी उन्हीं घरेलू एयरलाइनों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अनुमति मिलती है, जिनके पास बीस विमानों समेत पांच साल का अनुभव हो।

एयर एशिया और टाटा सिया जैसी नई एयरलाइनों ने इस नियम को खत्म करने की मांग की है। जबकि पहले से स्थापित इंडिगो, जेट एयरवेज जैसी एयरलाइनें ऐसी किसी रियायत के खिलाफ हैं।


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